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Jai Bhole

navagrah poojan vidhi

नवग्रह पूजन विधि,नवग्रह को आप निम्न पौधे लगाकर भी अनुकूल कर सकते है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में 9 ग्रह स्थित होते है

navagrah poojan vidhi

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नवग्रह पूजन विधि :- ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सौरमंडल में 9 ग्रह स्थित होते है। कहा जाता है कि सभी नवग्रह मनुष्य की सभी मनोकामना पूरी करने में सक्षम होते है। यह संपूर्ण संसार ग्रहो के अधीन है। ग्रह ही कर्मो का फल देने वाले है।सौरमंडल में स्थित सात ग्रह ओर दो छाया ग्रह राहु - केतु मनुष्यो के जीवन पर शुभ - अशुभ प्रभाव डालते है। जन्मकुंडली में ग्रहो के प्रतिकूल होने पर मनुष्य जो भी कर्म करता है, वह निष्फल हो जाता है और मनुष्य परेशान होने लगता है क्योंकि सुख व दुख सब ग्रहो के अधीन है। इसलिए जन्मकुंडली में ग्रहों को अनुकूल करने के लिए नवग्रह उपासना ( पूजन) का विधान बताया गया है।

सफेद आसन पर बैठकर, आसन के नीचे कुछ सिक्के रखकर उसके ऊपर पालथी मारकर बैठ जाये। नवग्रह को पूजने से पहले उनका मन मे नाम लेकर उनको प्रणाम करें। उसके बाद एक चौकी पर नवग्रह की स्थापना करें। फिर बाएं हाथ मे अक्षत लेकर मंत्रोच्चार करते हुये दाएं हाथ से अक्षत अर्पित करते हुए ग्रहो का आह्वान करे। फिर मन मे में निम्न वाक्य दोहराए।

1. ग्रहो में प्रथम विश्व की रक्षा करने वाले भगवान सूर्य मेरी पीड़ा का हरण करे।

2. अमृतमय स्वरूप वाले , अमृतरूपी शरीर वाले तथा अमृत का पान कराने वाले चंद्रदेव मेरी पीड़ा को दूर करे।

3. जगत को भय प्रदान करने वाले , वृष्टि का हरण करने वाले मंगल मेरी पीड़ा का हरण करे।

4. महान धुति से सम्पन्न, राजकुमार बुध मेरी पीड़ा का निवारण करे।

5. सर्वदा लोक कल्याण में निरत रहने वाले,देवताओं के गुरु बृहस्पति मेरी पीड़ा को दूर करे।

6. दैत्यों के गुरु महान बुद्धि संपन्न शुक्र मेरी पीड़ा को दूर करे।

7. सूर्य विशाल नेत्रों वाले, भगवान शिव के प्रिय प्रसन्नात्मा शनि देव मेरी पीड़ा को दूर करे।

8. विविध रूप तथा वर्ण वाले, हजारों आखों वाले , राहु मेरी पीड़ा का हरण करे।

9. नाड़ी से संपन्न, विशाल मुख और बिना शरीर वाले केतु मेरी पीड़ा का हरण करें।

इसके पश्चात जनेऊ ,रोली, अक्षत , सुपारी , इत्र, पुष्प ,फल, नारियल प्रसाद गुड़ , धूपबत्ती आदि से नवग्रह की पूजा करे। उसके पश्चात निम्न मंत्र का जाप करे

ॐ ब्रह्मा मुरारी त्रिपुरांतकारी भानु: शशि भूमि सुतो बुधश्च ।
गुरुश्च शुक्र शनि राहु केतव सर्वे ग्रहा शांति करा भवंतु ।।
ॐ शांति शांति शांति।।


पूजन के पश्चात आप जिस आसन पर बैठकर पाठ कर रहे है उसके नीचे हाथ लगाकर उसे मस्तक पर लगाये प्रणाम करें। नवग्रह को आप निम्न पौधे लगाकर भी अनुकूल कर सकते है।

1. सूर्य :- आंकड़ा, बौद्विक प्रगति, स्मृति शक्ति विकास।

2. चंद्र:- रातरानी, चमेली, पलाश :- मानसिक रोगों से मुक्ति।

3. मंगल :- खेर, इसके पूजन से रक्त विकार तथा चर्म रोग ठीक होते है।

4. बुध :- आंधी झाड़ा, इसके स्नान से वायव्य बाधा का शमन व मानसिक संतुलन बना रहता है।

5. गुरु :- पारस पीपल, इसके पूजन से ज्ञान वृद्धि तथा भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।

6.शुक्र:- गूलर,पूजन से पूर्व जन्म के दोषों का नाश होता है।

7:- शनि :- शमी, पूजन से धन, बुद्धि, कार्य मे प्रगति , मनोवांछित फल की प्राप्ति तथा बाधाएं दूर होती है।

8. राहु:- चंदन, पूजन से राहु पीड़ा से मुक्ति तथा सर्प दंश भय समाप्त होता है।

9. केतु:- अश्वगंधा, मानसिक विकलता दूर होती है।

नोट:- नित्य 40 दिनों तक नवग्रह मंत्र का 108 बार जाप करने से आप उस मंत्र को सिद्ध कर सकते है ।

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