जानिए रुद्राक्ष पहनने से कैसे होते है रोग दूर रुद्राक्ष पहनने से विवाह की बाधा होगी दूर और घर में बानी रहेगी शांति..
रुद्राक्ष भगवान भोलेनाथ की आंखों के जलबिंदु (अश्रु) से हुई है, रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति स्वयं के अंदर एक सकारात्मक ऊर्जा को महसूस करता है। उस ऊर्जा में तीव्र आकर्षण का प्रभाव होता है। रुद्राक्ष धारण करने से आदमी सहज रूप से ईश्वरीय कृपा को प्राप्त करता है उसके कार्य स्वतः ही बिना बाधा के पूर्ण होने लगते है ।
जो व्यक्ति पूरे विधि विधान के साथ रुद्राक्ष को धारण करता है, वह व्यक्ति सदैव प्रसन्न एवँ निरोगी रहता है। उसके अंदर एक विशेष ऊर्जा का संचार होता है , वह उस ऊर्जा से अपने लक्ष्य को सरल रूप से ही प्राप्त कर लेता है।
जिस भी व्यक्ति की की कुंडली मे किसी ग्रह के कारण कोई दोष बन रहा है , या कोई ग्रह नीच का होकर कुंडली मे विराजमान है , या कोई ग्रह अस्त हो रहा है तो उस ग्रह से सम्बंधित रुद्राक्ष पूरे विधि विधान से धारण करने से वह ग्रह दोष समाप्त हो जाता है। जातक नई ऊंचाइयों को छूने लगता है।
अगर किसी व्यक्ति के विवाह में बाधा आ रही है तो उस व्यक्ति को गौरी शंकर रुद्राक्ष / 2 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए । इससे व्यक्ति के विवाह में आ रही समस्त बाधाएं दूर हो जाती है एवँ उनका विवाह शीघ्र हो जाता है।
जो व्यक्ति रूद्राक्ष की माला को पूर्ण रूप से पूरे विधि विधान के साथ अभिमंत्रित कर धारण करता है ,उस व्यक्ति के जीवन मे समस्या नही रहती है। उस व्यक्ति के अंदर शक्ति, तेज,बुद्धि का विकास होने लगता है एवँ वह स्वयं निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर हो जाता है।
जंगल में रह रहे साधु , संत और संन्यासी बस किसी भी पोखर / तालाब से जल नहीं पी सकते थे, क्योंकि बहुत सी बार प्रकृति में, जल कुछ ऐसी गैसे उस जल को जहरीला या दूषित कर सकती है। अगर वे उस जल को पी लें, तो यह उन्हें बीमार कर सकता है या उनकी मृत्यु भी सकती है। अगर जल के ऊपर एक रुद्राक्ष को लटकाया जाता है तो अगर जल पीने योग्य है, तो यह घड़ी की सुई की दिशा में घूर्णन करेगा। अगर यह जहरीला है तो यह विपरीत दिशा में घूर्णन करेगा। भोजन की गुणवत्ता को जांचने का भी यही तरीका है। अगर आप इसे किसी सात्विक प्राणिक खाद्य पदार्थ पर लटकाते हैं, तो यह घड़ी की सुई की दिशा में घूमेगा। अगर आप इसे नकारात्मक प्राणिक खाद्य पदार्थ पर लटकाते हैं, तो यह उल्टी दिशा में घूमेगा।
रुद्राक्ष नकारात्मक ऊर्जाओं के खिलाफ एक तरह से पूर्ण रूप से कवच की तरह कार्य करता है। नकारात्मक ऊर्जाओं को किसी दूसरे को हानि पहुंचाने के लिए इस्तेमाल करना कुछ लोगों के लिए संभव है। यह अपने आप में एक पूरा विज्ञान है। एक वेद, ‘अथर्व वेद,’ पूरा इसी के बारे में है कि ऊर्जाओं को अपने लाभ के लिए और किसी दूसरे की हानि के लिए कैसे इस्तेमाल करें। अतः रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति पर किसी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नही होता है।