सरस्वती चालीसा के फायदे, माँ सरस्वती चालीसा का नित्य पठन करने से माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्यक्ति ज्ञान एवँ एकाग्रता की ओर अग्रसर...
प्रतिदिन Saraswati Chalisa का पाठ अत्यधिक लाभ देने वाला माना जाता है। हंसवाहिनी, सत्य लोक में निवास करने वाली, माँ शारदा ,विधा के देवी माँ सरस्वती चालीसा का नित्य पठन करने से माँ सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त होता है। व्यक्ति ज्ञान एवँ एकाग्रता की ओर अग्रसर होता है।
मां सरस्वती , वीणावादिनी की चालीसा का नित्य पाठ करने से व्यक्ति अंधकार से निकलकर ज्ञानवान बनता है। उनके जीवन में वह माँ सरस्वती की कृपा एवँ अपने ज्ञान से हर परिस्थिति का सामना आसानी से कर लेते है।
माँ सरस्वती की चालीसा का नित्य पाठ करने से व्यक्ति में तेज बढ़ता है जिसके कारण व्यक्ति का समाज एवँ हर क्षेत्र में यश व ऐश्वर्य बढ़ता है ।
माँ सरस्वती की चालीसा का पठन विद्यार्थियों को नित्य करना चाहिए । माँ वीणावादिनी, शुभ्रवसना की चालीसा का पाठ करने से विद्यार्थियों का मन एकाग्रचित्त होता है जिससे विद्यार्थी तरक्की की ओर अग्रसर होते है। विद्यार्थियों के साथ साथ जो भी व्यक्ति सरस्वती चालीसा का पाठ करते है उनका मन शांत एवँ एकाग्रचित्त रहता है।
माँ सरस्वती की चालीसा का पाठ करने से जातक / जातिका की कुंडली मे बुध ग्रह मजबूत होता है। बुध ग्रह बुद्धि , वाणी , संगीत, व्यापार को प्रदर्शित करता है एवँ माँ सरस्वती बुद्धि , वाणी की देवी है अतः सरस्वती चालीसा का पाठ नित्य करने से बुध ग्रह मजबूत होता है।
दुनिया यदि असफलता का कोई सबसे बड़ा कारण है तो वह अहंकार है। इसका सीधा उदहारण है रावण, अपने अहंकार के कारण ही रावण को असफलता का सामना करना पड़ा। माँ सरस्वती चालीसा का पाठ नित्य करने से व्यक्ति अपने जीवन मे अहंकार से दूर जाते हुए सच्चाई को प्राप्त करता है। व्यक्ति के अंदर से अहंकार धीरे धीरे समाप्त होने लगता है।
माँ सरस्वती की चालीसा का पाठ नित्य करने से व्यक्ति अपने बड़े बुजुर्गों का सम्मान करना सीखता है । माँ सरस्वती सफेद हंस पर सवार होकर सत्त्वगुण प्रदान करती है। यदि हम अपने बड़ो का सम्मान करते है तो हमारे आधे दुःख तो उनके आशीर्वाद से ही दूर हो जाते है।
माँ सरस्वती की चालीसा का पाठ करने से ज्ञान व्यवसाय, प्रसिद्धि और भाग्य का एक उपकरण बन जाता है।एक हस्त में ग्रंथ, जो वेदों का प्रतीक बताए जाते रहे है और दूसरे हस्त में कमल है, जो कि ज्ञान का प्रतीक है। माँ सरस्वती के अन्य दो हाथों में वीणा नामक एक वाद्य यंत्र पर प्रेम और जीवन का संगीत बजाती हैं।