वाराह पुराण के अनुसार ताम्र का महत्व,आखिर पूजा में ताम्र पात्र ही क्यो ज्यादा उपयोग करते है,आध्यात्म एवँ विज्ञान में ताम्र पात्र का महत्व
जिसको आप मानव सरंचना कहते है वह वास्तव में एक सॉफ्टवेयर है , सॉफ्टवेयर का मतलब मूल रूप से याददाश्त से है। हमारा शरीर सात चक्रों एवँ पांच तत्वों से मिलकर बना है। तांबे के बर्तन का उपयोग करने से पांचों तत्वों के बीच एक सामंजस्य बैठा रहता है। पूजा पाठ में भी ज्यादातर ताम्र के बर्तनों का ही उपयोग किया जाता है। तांबे के बर्तनों 2 कारणो की वजह से किया जाता है। एक पौराणिक कारण है, जिसका वर्णन हिन्दू शास्त्रों में किया गया है और वहीं इसका दूसरा कारण विज्ञान से जुड़ा हुआ है।
वाराह पुराण के अनुसार प्राचीन काल में एक बुड़केश नाम का दैत्य था। बुड़केश भगवान विष्णु का बहुत बड़ा भक्त था एवं भगवान विष्णु की साधना किया करता था। उसने एक बार भगवान विष्णु की घोर तपस्या की और साथ ही उसने भगवान विष्णु से वरदान मांगा कि आपके सुदर्शन चक्र से ही मेरी मृत्यु हो और मेरे शरीर का उपयोग पूजा-पाठ में हो। इस पर भगवान विष्णु ने उसे वरदान दिया ठीक है, समय आने पर मैं तुम्हारा वध चक्र से करूंगा और तुम्हारा शरीर पूजा-पाठ में उपयोग में आएगा। समय आने पर भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उसका वध किया और शेष रह गए शरीर को एक धातु में बदल दिया वह धातु ताम्बा थी और साथ ही उसके ताम्बे के शरीर से बर्तन बनाकर पूजा-पाठ में प्रयोग किया। तभी से तांबे का उपयोग पूजा-पाठ में होता आ रहा है।
विज्ञान के रूप से पानी की अपनी स्मरण-शक्ति होने के कारण हम इस बात पर ध्यान देते हैं कि उसको कैसे बर्तन में रखें। अगर आप पानी को रात भर या कम-से-कम चार घंटे तक तांबे के बर्तन में रखें तो ताम्बे के कुछ अंश और atoms पानी में मिल जाते है। यह पानी हमरे शरीर में लिवर के लिए बोहत ही फायदेमंद होता है। यह पानी खास तौर पर आपके लीवर की देखभाल के लिए और आम तौर पर आपकी सेहत और शक्ति-स्फूर्ति के लिए फायदेमंद होता है। अगर पानी बड़ी तेजी के साथ पंप हो कर अनगिनत मोड़ों के चक्कर लगाकर सीसे या प्लास्टिक की पाइप के सहारे आपके घर तक पहुंचता है तो इन सब मोड़ों से रगड़ाते-टकराते गुजरने के कारण उसमें उन सभी धातुओं के कण समा जाते है।
लेकिन पानी में याददाश्त के साथ-साथ अपने मूल रूप में वापस पहुंच पाने की शक्ति भी है। अगर आप नल के इस पानी को एक घंटे तक बिना हिलाये-डुलाये रख देते हैं तो उसमे मौजूद कचरा और पाउडर ,धातु के कण आदि निचे बेथ जाते है और पानी साफ़ हो जाता है। आप यात्रा करने जाते है तो जहां अपने अनुसार खान-पान नहीं हो पाता तो छोटे-मोटे ज़हरीले तत्व हमेशा किसी-न-किसी रूप में आपके अंदर पहुंच जाते हैं। ताम्बे का पानी इन ज़हरीले तत्वों से आपके शरीर की देखभाल करता है।
ताम पात्र पानी रख कर पिने से पानी में ताम्बे के कुछ Molecules मिल जाते है जिससे तांबा पेट, लिवर और किडनी सभी का विषहरण (detox) करता है। इसमें मौजूद गुण पेट को हानी पहुंचाने वाले जीवाणु (bacteria) को मार देते हैं, जिस वजह से पेट में कभी भी अल्सर और इंफ्केशन नहीं होता।
ताम्र पात्र को सूर्य का सूचक भी कहते है ऋग्वेद में कहा गया है कि सूर्य हमे जगाता है। इसी कारण हम एक्टिव रहते है और काम कर पाते है । अतः सूर्य देव को नियमित रूप से प्रातःकाल अर्ध्य देना चाहिए। रोज ताम्र पात्र में सूर्य देव को अर्ध्य देने से स्वास्थ्य ठीक रहता है और घर मे संपन्नता आती है। सूर्य को जल चढ़ाने से नोकरी पेशा लोगो को उच्चाधिकारियों से सहयोग मिलने लगता है।
ताम्र पात्र में मौजूद सूजनरोधी ( anti-inflammatory ) गुण दर्द से राहत दिलाता है, इसलिए अर्थराइटिस और जोड़ों के दर्द से परेशान लोगों को ताम्र पात्र का पानी जरूर पीना चाहिए। इसके साथ ही तांबा हड्डियों को मजबूत बनता है एवं शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ता है।
तांबे में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स(Antioxidants) चेहरे की फाइन लाइन्स और झाइयों को खत्म करते है। साथ ही फाइन लाइन्स को बढ़ाने वाले सभी कारणो का नाश करते है, अर्थात फ्री रेडिकल्स से बचाकर चमड़ी (skin) पर एक सुरक्षा परत बनाता है, जिस वजह से लंबे समय तक व्यक्ति जवान लगता हैं।
आज के समय में शारीरिक गतिविधिया घटने और अस्वच्छ भोजन (unhygienic food) से वजन बढ़ना एक आम बात हो गयी है। अगर आपको जल्दी वजन कम करना है, तो तांबे के बर्तन में भरा हुआ पानी पीए। ताम पात्र में भरा हुआ पानी पिने से हमारे शरीर डाइजेस्टिव सिस्टम बेहतर होता है एवं बुरे फैट को शरीर से बाहर निकाला जा सकता है।
मस्तिष्क को उत्तेजित कर उसे सक्रिय बनाए रखने में तांबे का पानी बहुत सहायक होता है। इसके प्रयोग से स्मरणशक्ति (memory power) मजबूत होती है और दिमाग तेज होता है।