सिद्ध कुंजिका स्त्रोत का अर्थ एवं कुंजिका स्तोत्र के लाभ, यह रुद्रयामल के अंतर्गत गौरी तंत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के संवाद के द्वारा उत्पन्न हुआ है..
माँ दुर्गा के कुंजिकास्तोत्र अत्यंत प्रभावशाली एवँ शक्तिशाली है । कुंजिका मतलब कुंजी का अर्थ होता है चाबी । एक चाबी जो किसी भी ताले को खोल सकने में सक्षम हो। कुंजिका स्त्रोत श्री दुर्गा शप्तशती से प्राप्त होने वाली शक्ति को जाग्रत करने का कार्य करता है। इन सभी शक्तियों को भगवान भोलेनाथ, देवो के देव महादेव ने कील कर रखा है जिससे कोई भी इसका दुरुपयोग न कर सके। यह रुद्रयामल के अंतर्गत गौरी तंत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के संवाद के द्वारा उत्पन्न हुआ है क्योंकि भगवान शिव ने माता पार्वती को इस अत्यंत गुप्त और परम कल्याणकारी कुंजिका स्रोत के बारे में ज्ञान प्रदान किया।
शिव जी ने कहा: देवी ! सुनिए ! मैं अति उत्तम कुंजिका स्तोत्र का उपदेश देता हूँ, जिसके प्रभाव से चंडी जाप सफल होता है। कवच, अर्गला, कीलक, रहस्य, सूक्त, ध्यान, न्यास और अर्चन भी आवश्यक नहीं है। केवल कुंजिका स्तोत्र के पाठ मात्र से ही दुर्गा पाठ का फल प्राप्त हो जाता है। कुंजिका अत्यंत गुप्त है और सभी देवताओं के लिए भी यह परम दुर्लभ है। हे देवी पार्वती ! इस स्तोत्र को स्वयं की योनि की भांति प्रयत्नपूर्वक गुप्त रखना चाहिए। इस उत्तम सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ मात्र के द्वारा ही मारण, मोहन, वशीकरण, स्तंभन और उच्चाटन जैसे सभी कार्य सिद्ध कर देता है। इसके बाद मंत्र दिया है जिसमें विभिन्न प्रकार के बीज है अर्थात बीज मंत्र है जिनका केवल जाप करना ही पर्याप्त माना जाता है। हे रूद्ररूपिणी ! आपको नमस्कार है ! हे मधु देखने को मृत्यु देने वाली ! आपको नमस्कार है ! कैटभविनाशिनी को नमस्कार है ! महिषासुर को मारने वाली देवी ! आपको नमस्कार है !
शुम्भ का हनन करने वाली और निशुंभ को मारने वाली देवी ! आपको नमस्कार है ! हे महादेवी ! मेरे जब को जागृत और सिद्ध कीजिए ! ऐंकार के रूप में सृष्टिरूपिणी, ह्रीं के रूप में सृष्टि का पालन करने वाली ! क्लीं के रूप में कामरूपिणी तथा अखिल ब्रह्मांड की बीजरूपिणी देवी! आपको नमस्कार है ! चामुंडा के रूप में चण्डविनाशिनी और यैकार के रूप में आप वर देने वाली हो ! विच्चै के रूप में आप नित्य ही अभय देने वाली हो ! (इस प्रकार आप ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे) आप इस मंत्र का स्वरुप हो ! धां धीं धूं के रूप में धूर्जटी अर्थात शिव की आप पत्नी हो ! वां वीं वूं के रूप में आप वाणी की अधीश्वरी हो ! क्रां क्रीं क्रूं के रूप में आप कालिका देवी हो ! शां शीं शूं के रूप में आप मेरा शुभ (कल्याण) कीजिए ! हुं हुं हुंकार स्वरूपिणी, जं जं जम्भनादिनी, भ्रां भ्रीं भ्रौं के रूप में हे भैरवी भद्रे भवानी ! आपको बार-बार प्रणाम है ! “अं कं चं टं तं पं यं शं वीं दुं ऐं वीं हं क्षं धिजाग्रं धिजाग्रं”इन सभी को तोड़ो और दीप्त करो करो स्वाहा ! पां पीं पूं के रूप में आप पार्वती पूर्णा हो ! खांसी में खून के रूप में आप खेचरी हो ! सां सीं सूं स्वरूपिणी सप्तशती देवी के मंत्र को मेरे लिए सिद्ध कीजिए ! यह कुंजिका स्तोत्र मंत्र को जगाने के लिए ही है ! इसे किसी ऐसे व्यक्ति को नहीं देना चाहिए जो भक्ति हीन हो ! हे पार्वती ! इसको गुप्त रखिए ! हे देवी ! जो बिना कुंजिका के सप्तशती का पाठ करता है उसे ठीक उसी प्रकार कोई सिद्धि प्राप्त नहीं होती जिस प्रकार किसी वन में रोना निरर्थक साबित होता है ! इस प्रकार रुद्रयामल के गौरी तंत्र के अंतर्गत शिव पार्वती संवाद में कुंजिका स्तोत्र संपूर्ण हुआ।
1. दुर्गा शप्तशती के कुंजिकास्तोत्र का पाठ करने से आदमी निडर एवँ साहसी बनता है यह अत्यंत शक्तिशाली एवँ कल्याणकारी पाठ है इसका पाठ करने के पश्चात आपको किसी प्रकार के जप एवँ पूजा की आवश्यकता नही होती है क्योंकि इसका पाठ करने से आपके सभी जाप सिद्ध हो जाते है, ओर आप निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर होने लगते है ।
2. यदि आपको कोई शत्रु परेशान कर रहा है तो कुंजिका स्त्रोत का पाठ करने से उससे मुक्ति मिलेगी।
3. सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करने से सभी प्रकार की विघ्न बाधाओं का नाश होता है तथा सिद्ध कुंजिका स्तोत्र और देवी सूक्त के पाठ के साथ ही यदि आप सप्तशती का पाठ करते हैं, तो आपको परम सिद्धि की प्राप्ति हो सकती है।
4. कुंजिकास्तोत्र में मौजूद बीज मंत्र आपके जीवन को एक नई दिशा देते है जिससे आप अपने जीवन मे हर क्षेत्र में तरक्की की ओर अग्रसर होते है। आपका स्वास्थ्य, आपका धन, आपके जीवन में समृद्धि और आपके जीवन साथी के साथ अच्छे संबंधों के लिए भी यह स्तोत्र अत्यंत कारगर है। इसके साथ ही साथ यह गृह क्लेश की स्थितियों को भी दूर करता है।