पढ़िए नाग स्तोत्र पढ़ने के 5 लाभ मिलगा काल सर्पदोष और पितृदोष से छुटकारा,होने लगेगी धन की प्राप्ति
जब से सृष्टि की रचना हुई तब से ही नाग पूजा का प्रारंभ माना गया है। हिन्दू धर्म मे भगवान भोलेनाथ ने गले मे एवँ भगवान श्री विष्णु ने शयन करकर नाग के महत्व को दर्शाया है। नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए सावन माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पंचमी मनाई जाती है। इस दिन लोग नाग देव की विशेष पूजा अर्चना कर उनका आशीर्वाद प्राप्त करते है। नाग पंचमी के दिन बारह(12) नागों की पूजा का विधान है। इनके नाम अनंत, वासुकि, शंख, पद्म, कंबल, कर्कोटक, अष्ववर, धृतराष्ट्र, शंखपाल, कालिया, तक्षक और पिंगल हैं। नाग पंचमी के दिन पूजन के बाद नाग स्त्रोत का पाठ कर इन समस्त नागों को प्रणाम किया जाता है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से लोगो का जीवन कालसर्प दोष से मुक्त होता है। भगवान शिव जी ने वासुकि नामक नाग देव को गले मे डाल रखा है। शुक्ल पक्ष के सावन की पंचमी के दिन भगवान भोलेनाथ एवँ नाग देवता की विधि विधान से पूजा कर नाग स्त्रोत का पाठ करने से कुंडली मे कालसर्प दोष की समस्या से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।
नाग पंचमी पर नाग देवता की पूजा के समय उन्हें विशेष रूप से दूध, चंदन का इत्र, चंदन का तिलक ,गुलाब की धूप पुष्प, अर्पित करने चाहिए। भगवान भोलेनाथ एवँ माँ पार्वती की साथ पूजा कर शिव चालीसा एवँ नाग स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। इस पूजा को विधि विधान से करने से जिस भी जातक/ जातिका की कुंडली मे पितृ दोष है उसे उससे मुक्ति मिलती है। श्राद्ध पक्ष में भी नाग स्तोत्र का पाठ किया जाता है।
नाग स्त्रोत का नियमित रूप से पाठ करने वाले व्यक्तियों पर भगवान भोलेनाथ के साथ साथ भगवान श्री हरि विष्णु का भी आशीर्वाद प्राप्त रहता है । जो व्यक्ति नित्य नाग स्त्रोत का पाठ करता है उसकी कुंडली मे राहु-केतु के दुष्प्रभाव समाप्त हो जाते है । व्यक्ति निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर होता रहता है।
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने से नाग से किसी प्रकार का भय नहीं रहता है। नाग पंचमी की तिथि को कुश से नाग बनाकर उसकी दूध, दही और घी से पूजा करकर नाग स्त्रोत का पाठ करते है तो नाग देवता अत्यधिक प्रसन्न होते हैं ,और नाग देवता की जातक पर कृपा बरसती है। नागपंचमी के दिन अगर सवर्ण , चांदी और ताम्र के नाग बनवाकर शिव मंदिर में चढ़ाकर श्रेष्ठ ब्राह्मण को दान दें तो उन्हें भय नहीं सताता है।
नाग देवता माता लक्ष्मी जी के सेवक हैं। अमूल्य नागमणि एवं दैव निधियों के प्रहरी हैं। नित्य नाग स्त्रोत का पाठ करने से माँ लक्ष्मी जी का आशीर्वाद व्यक्ति को प्राप्त होता है एवँ उसे कभी भी धन का अभाव नही होता है।