मस्तक पर तिलक क्यों लगाया जाता है अनामिका उंगली से ही क्यो लगाते है तिलक शरीर की नाड़ियों का सम्बंध तिलक से कैसे...
मस्तक पर तिलक क्यों लगाया जाता है, अनामिका उंगली से ही क्यो लगाते है तिलक, शरीर की नाड़ियों का सम्बंध तिलक से कैसे, किस उंगली से तिलक लगाने से क्या होता है
तिलक आध्यात्म की असली पहचान है। तिलक लगाने से समाज मे मस्तिष्क हमेशा गर्व से ऊँचा होता है। घर मे किसी शुभ कार्य में तिलक लगाने का विधान है।
तिलक कई वस्तुओं एवँ पद्रार्थों का लगाया जाता है। जिनमें हल्दी, सिंदूर, केशर, भस्म , चंदन प्रमुख है।
पुराणों के अनुसार संगम तट पर गंगा स्नान के बाद तिलक लगाने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हमारे शरीर मे सात चक्र एवँ तीन नाडियां ( इड़ा, पिंगला व सुषुम्ना) होती है। यह सातों चक्र आदमी के व्यक्तित्व को उच्च शिखर पर ले जाते है यह अपार शक्ति के भण्डार है।
मस्तक पर जहाँ तिलक लगाते है, वहाँ एक आज्ञा चक्र होता है इसी आज्ञा चक्र पर तीनों नाड़ियां आकर मिलती है इस स्थान को संगम भी कहा जाता है। यह स्थान गुरु का भी कहलाता है। जब हम योग करते है तो इसी स्थान को एकाग्र किया जाता है। आमतौर पर तिलक अनामिका द्वारा लगाया जाता है।
विज्ञान के अनुसार माथे में जिस स्थान पर तिलक लगाया जाता है उस जगह पर पीनियल ग्रंथि होती है। उस स्थान पर नित्य तिलक लगाने से वह उदीप्त होने लगती है, तो मस्तिष्क के अंदर एक तरह के प्रकाश की अनुभूति होती है ।
अनामिका उंगली से तिलक लगाया जाता है यह उंगली सूर्य का प्रतीक होती है अनामिका उंगली से तिलक लगाने से तेजस्वी एवँ प्रतिष्ठा बढ़ती है। मान - सम्मान के लिए अंगूठे से तिलक लगाया जाता है । अंगूठे से तिलक लगाने से ज्ञान और आभूषण की प्राप्ति होती है। जैसे कि कोई राज्याभिषेक
या सरकारी क्षेत्र में अच्छा पद।
नोट :- शत्रु नाश के लिए तर्जनी उंगली से , धनप्राप्ति के लिए मध्यमा से एवँ समस्त शांति प्राप्ति के लिए अनामिका से लगाया जाता है तिलक ।