गुप्त नवरात्रि में दस महाविद्या पूजा साधना कैसे करें,नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, नियम, भजन...
आषाढ़ मास में मनाई जाने वाली गुप्त नवरात्रि इस बार प्रतिपदा 11 जुलाई से शुरू होंगी और 18 जुलाई तक रहेगी। इस तरह नवरात्रि का पर्व 08 दिन मनाया जाएगा। पुराणों की मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गे की 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है। वर्ष में 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें दो प्रत्यक्ष और दो अप्रत्यक्ष। बता दें, अप्रत्यक्ष नवरात्रि को ही गुप्त नवरात्रि कहा जाता है। प्रत्यक्ष तौर पर चैत्र और आश्विन की महीने में मनाई जाती हैं, और अप्रत्यक्ष यानी कि गुप्त आषाढ़ और माघ मास में मनाई जाती हैं।
गुप्त नवरात्रि में साधक गुप्त साधनाएं करने शमशान व गुप्त स्थान पर जाते हैं। नवरात्रों में लोग अपनी आध्यात्मिक और मानसिक शक्तियों में वृद्धि करने के लिये अनेक प्रकार के उपवास, संयम, नियम, भजन, पूजन योग साधना आदि करते हैं। सभी नवरात्रों में माता के सभी 51पीठों पर भक्त विशेष रुप से माता के दर्शनों के लिये एकत्रित होते हैं। माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहते हैं, क्योंकि इसमें गुप्त रूप से शिव व शक्ति की उपासना की जाती है जबकि चैत्र व शारदीय नवरात्रि में सार्वजिनक रूप में माता की भक्ति करने का विधान है । आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि में जहां वामाचार उपासना की जाती है । वहीं माघ मास की गुप्त नवरात्रि में वामाचार पद्धति को अधिक मान्यता नहीं दी गई है । ग्रंथों के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष का विशेष महत्व है।
जयन्ती मङ्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तु ते
सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो धनधान्यसुतान्वित: ।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय: ॥
ऐसा माना जाता है की गुप्ता नवरात्री में साधना करने का प्रत्यक्ष फल मिलता है। ऋषि विश्वामित्र गुप्त नवरात्र में दशमहाविद्याओं की साधना करके अद्भुत शक्तिया प्राप्त की थी। उनकी सिद्धियाँ इतनी प्रबल हो गयी थी की उनोने एक नए संसार का निर्माण क्र दिया था।
गुप्त नवरात्रों के बारे में एक प्राचीन कथा प्रचलित है, एक बार जब श्रृंगी ऋषि अपने भक्तो को दर्शन दे रहे थे तब अचानक भीड़ में से एक स्त्री निकल कर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली ! मेरे पति बुरी आदतों से हमेशा घिरे रहते हैं, जिस कारण मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती धर्म और भक्ति से जुड़े कार्य भी नहीं कर पाती और में दान धरम एवं ऋषि मुनियो को उनके हिस्से का अन्न भी दान नहीं कर पाती मेरा पति मांसाहारी और जुआरी है।
लेकिन मैं मां दुर्गा कि सेवा करना चाहती हूं। उनकी भक्ति साधना से जीवन को पति सहित सफल बनाना चाहती हूं। ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए। ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है लेकिन इसके अतिरिक्त दो नवरात्र और भी होते हैं । जिन्हें गुप्त नवरात्र कहा जाता है प्रकट नवरात्रों में नौ देवियों की उपासना हाती है और गुप्त नवरात्रों में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है । इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरुप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है । यदि इन गुप्त नवरात्रों में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा साधना करता है तो माँ उसके जीवन को सफल कर देती हैं ।
गुप्त नवरात्री में हर कोई साधना कर सकता है चाहे वो मांसाहारी, कामी, लोभी, और पूजा पाठ नहीं करने वाला भी क्यों न हो। गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा जो कोई भी करता है और सिद्धि प्राप्त कर लेता है फिर उसको उसके जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं होती। स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के बात पर पूर्ण श्रद्धा रखते हुए गुप्त नवरात्र की पूजा करी और माता रानी उससे प्रसन्न हो गयी। उसके जीवन में परिवर्तन आने लगा, घर में सुख शांति आयी। पति अच्छे मार्ग पर आ गया और जीवन माता की कृपा से श्रेश्ट हो गया। यदि आप भी एक या कई तरह के दुर्व्यसनों से ग्रस्त हैं और आपकी इच्छा है कि माता की कृपा से जीवन में सुख समृद्धि आए तो गुप्त नवरात्र की साधना अवश्य करें ।
तंत्र और शाक्त मतावलंबी साधना की दृष्टि से गुप्त नवरात्र के समय को बहुत सिद्धि दायक माना जाता हैं। गुप्त नवरात्र को माँ वैष्णो देवी, पराम्बा देवी एवं कामाख्या देवी की पूजा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंगलाज देवी की सिद्धि के लिए भी इस समय को महत्त्वपूर्ण माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार दस महाविद्याओं को सिद्ध करने के लिए ऋषि विश्वामित्र और ऋषि वशिष्ठ ने बहुत प्रयत्न किए थे लेकिन उन्हें सिद्धि प्राप्त नहीं हुयी। लेकिन वृहद काल गणना और ध्यान की स्थिति में उन्हें यह ज्ञान हुआ की गुप्त नवरात्रों में शक्ति के दस स्वरूपों को सिद्ध किया जा सकता है।
शुक्राचार्य ने मेघनाद को बताया था कि गुप्त नवरात्रों में यदि वह अपनी कुल देवी निकुम्बाला कि साधना करता है तो वह अजय-अमर बनाने वाली शक्तियों का स्वामी बन सकता है, दशानन रावण के पुत्र मेघनाद ने शक्तियां प्राप्त करने के लिए गुप्त नवरात्र में साधना की, फिर जब भगवान श्री राम और दशानन रावण का युद्ध हुआ तब युद्ध के समय केवल मेघनाद ने ही भगवान राम एवं उनके भाई लक्ष्मण जी को नागपाश मे बांध कर मृत्यु के द्वार तक पहुंचा दिया था। ऐसा माना जाता है, यदि नास्तिक व्यक्ति भी गुप्त नवरात्री के समय मंत्र साधना कर लेता है, तो उसको भी इसका फल प्राप्त होता है और जीवन में सफलता मिलती है।
गुप्त नवरात्र में ज्यादातर मंत्र साधना का महत्व है। आज के समय में व्यस्त जीवन के कारण यदि आपके पास समय की कमी है तो गुप्त नवरात्री आपके लिए माता रानी का उपहार ही समझिये क्योकि गुप्त नवरात्र में आप कुछ जरूरी नियमो का पालन करते हुए आप मंत्र साधना कर सकते है। गुप्त नवरात्र में की गयी साधना को गुप्त रूप से करना बहुत आवश्यक है। गुप्त रूप से की गयी साधना बहुत फलकारी होती है। गुप्त नवरात्र में आपको किसी मंदिर जाने की आवश्यकता नहीं है घर पर रह कर आप मंत्र साधना प्राप्त कर सकते है। यह समय गुप्त एवं चमत्कारिक शक्तिया प्राप्त करने के लिए सबसे अच्छा माना गया है।
धार्मिक दृष्टिकोण तो ज्यादातर सभी जानते हैं। दरअसल इस शक्ति साधना के पीछे छुपा व्यावहारिक पक्ष (practical view) यह है कि नवरात्र के समय ऋतू परिवर्तन होता है। आयुर्वेद के मुताबिक इस बदलाव से जहां शरीर में वात, पित्त, कफ में दोष पैदा होते हैं, वहीं बाहरी वातावरण में रोगाणु पनपते है जो की विभिन्न प्रकार की बीमारियों का कारण बनते हैं सुखी-स्वस्थ जीवन के लिये इनसे बचाव बहुत आवश्यक है नवरात्र के विशेष समय में देवी उपासना के माध्यम से खान-पान, रहन-सहन और देव स्मरण करने पर संयम और अनुशासन तन व मन को शक्ति और ऊर्जा प्रदान करता हैं जिससे इंसान निरोगी होकर लंबी आयु और सुख प्राप्त करता है धर्म ग्रंथों के अनुसार गुप्त नवरात्र में प्रमुख रूप से भगवान शंकर व देवी शक्ति की आराधना की जाती है।
देवी दुर्गा शक्ति का साक्षात स्वरूप है दुर्गा शक्ति में दमन का भाव भी जुड़ा है । यह दमन या अंत होता है शत्रु रूपी दुर्गुण, दुर्जनता, दोष, रोग या विकारों का ये सभी जीवन में अड़चनें पैदा कर सुख-चैन छीन लेते हैं । यही कारण है कि देवी दुर्गा के कुछ खास और शक्तिशाली मंत्रों का देवी उपासना के विशेष काल में जाप शत्रु, रोग, दरिद्रता रूपी भय बाधा का नाश करने वाला माना गया है सभी नवरात्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर नवमी तक किए जाने वाले पूजन, जाप और उपवास का प्रतीक है नव शक्ति समायुक्तां नवरात्रं तदुच्यते। देवी पुराण के अनुसार एक वर्ष में चार माह नवरात्र के लिए निश्चित हैं।
नवरात्र के नौ दिनों तक श्रद्धा एवं भक्ति का माहौल होता है। गुप्त नवरात्र के अनेक फायदे है, धार्मिक आस्था के साथ-साथ नवरात्र लोगो को एकता, सौहार्द, भाईचारा सिखाती है। मानव के समस्त रोग-दोष व कष्टों के निवारण के लिए गुप्त नवरात्र से बढ़कर कोई साधना के समय नहीं हैं। श्री, वर्चस्व, आयु, आरोग्य और धन प्राप्ति के साथ ही शत्रु संहार के लिए गुप्त नवरात्र में अनेक प्रकार के अनुष्ठान व व्रत-उपवास के विधान शास्त्रों में मिलते हैं। इन अनुष्ठानों के प्रभाव से मानव को सहज ही सुख व अक्षय ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है "दुर्गावरिवस्या" नामक ग्रंथ में स्पष्ट लिखा है कि साल में दो बार आने वाले गुप्त नवरात्रों में जो नवरात्र माघ के महीने में आता है उसमे व्यक्ति को न केवल आध्यात्मिक बल प्रदान होता हैं, बल्कि इन दिनों में संयम-नियम व श्रद्धा के साथ माता दुर्गा की उपासना करने वाले व्यक्ति को अनेक सुख एवं सम्रद्धी प्राप्त होती हैं। शिवसंहिता के अनुसार ये नवरात्र भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना के लिए भी सर्वश्रेष्ट हैं। गुप्त नवरात्रों के साधनाकाल में मां शक्ति का जप, तप, ध्यान करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं नष्ट होने लगती हैं।
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम् । रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि ॥
देवी भागवत के अनुसार जिस तरह वर्ष में चार बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्रि में देवी के नौ रूपों की पूजा की जाती है । ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात्र में दस महाविद्याओं की साधना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि विशेष रूप से तांत्रिक क्रियाओं, शक्ति साधना एवं महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्त्व रखती है। गुप्त नवरात्रि में देवी माँ के साधक बेहद कड़े नियमो के साथ व्रत एवं साधना करते हैं। गुप्त नवरात्रि के दौरान लोग दुर्लभ शक्तियों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं इन शक्तियों को प्राप्त करने के लिए लम्बे समय तक साधना करनी पड़ती है। गुप्त नवरात्र के दौरान कई व्यक्ति महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए तारा देवी,मां काली, भुवनेश्वरी, त्रिपुर सुंदरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माता बगलामुखी, मातंगी, मां ध्रूमावती और कमला देवी की पूजा करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान श्री राम ने अपनी खोयी हुयी शक्तियों को पाने के लिए नवरात्र में ही साधना की थी। इसलिए इस समय आदिशक्ति की आराधना पर अधिक समय देना माना गया है। संस्कृत व्याकरण के अनुसार नवरात्रि कहना गलत माना गया हैं। यह नौ रात्रियों का समूह है इसी कारण द्वन्द समास इसपर लगता है इस लिए यह शब्द पुलिंग रूप 'नवरात्र' में ही शुद्ध माना जाता है।
गुप्त नवरात्र में पूजा करने के लिए घट स्थापना, अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करना व जवारे स्थापित करना-श्रद्धालुगण अपने सामर्थ्य के अनुसार उपर्युक्त तीनों ही कार्यों से नवरात्रि का प्रारंभ कर सकते हैं अथवा क्रमश: एक या दो कार्यों से भी प्रारम्भ किया जा सकता है। यदि यह भी संभव नहीं तो केवल घट स्थापना से देवी पूजा का प्रारंभ किया जा सकता है। मान्यतानुसार गुप्त नवरात्र के दौरान अन्य नवरात्रों की तरह ही पूजा करनी चाहिए। नौ दिनों के उपवास का संकल्प लेते हुए प्रतिप्रदा यानि पहले दिन घटस्थापना करनी चाहिए। घटस्थापना के बाद प्रतिदिन सुबह और शाम के समय मां दुर्गा की पूजा करनी चाहिए। अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन के साथ नवरात्र व्रत का उद्यापन करना चाहिए।
11 जुलाई 2021 शुक्रवार, माँ काली और माँ शैलपुत्री पूजा घटस्थापना।
मां काली गुप्त नवरात्रि के पहले दिन मां काली की पूजा के दौरान उत्तर दिशा की ओर मुंह करके काली हकीक माला से पूजा करनी है। इस दिन काली माता के साथ आप भगवान कृष्ण की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से आपकी किस्मत चमक जाएगी, शनि के प्रकोप से भी छुटकारा मिल जाएगा, नवरात्रि में पहले दिन दिन मां काली को अर्पित होते हैं वहीं बीच के तीन दिन मां लक्ष्मी को अर्पित होते हैं और अंत के तीन दिन मां सरस्वति को अर्पित होते हैं मां काली की पूजा में मंत्रों का उच्चारण करना है। गुप्त नवरात्रि का मंत्र - क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा। ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्री के दूसरे दिन महाविद्या मां तारा की पूजा की जाती है। इस पूजा को बुद्धि और संतान के लिये किया जाता है। इस दिन Amethyst (अमेथिस्ट) व नीले रंग की माला का जप करते हैं। गुप्त नवरात्रि मां तारा का मंत्र - ऊँ ह्रीं स्त्रीं हूं फट।
नवरात्री के तीसरे दिन महाविद्या मां त्रिपुरसुंदरी और मां शोडषी पूजा की पूजा की जाते है। सुन्दर एवं निखरे हुए रूप के लिये इस दिन मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा की जाती है। इस दिन बुध ग्रह के लिये पूजा की जाती है। इस दिन रूद्राक्ष की माला का जप करना चाहिए। गुप्त नवरात्रि मां त्रिपुरसुंदरी का मंत्र - ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:।
गुप्त नवरात्री के चौथे दिन महाविद्या मां भुवनेश्वरी की पूजा की जाती है। इस दिन मोक्ष और दान के लिए पूजा की जाती है। इस दिन विष्णु भगवान की पूजा करना काफी शुभ होगा। चंद्रमा ग्रह संबंधी परेशानी के लिये गुप्त नवरात्री के चौथे दिन दिन पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्रि भुवनेश्वरी का मंत्र- ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:। ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:।
नवरात्रि के पांचवे दिन माँ छिन्नमस्ता की पूजा होती है। इस दिन पूजा करने से शत्रुओं और रोगों का नाश होता है। इस दिन रूद्राक्ष माला का जप करना चाहिए। अगर किसी का वशीकरण करना है तो उस दौरान इस पूजा को करना होता है। राहू से संबंधी किसी भी परेशानी से छुटकारा मिलता है। इस दिन मां को पलाश के फूल चढ़ाएं। गुप्त नवरात्रि माँ छिन्नमस्ता का मंत्र - श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा।
गुप्त नवरात्री के छट्टे दिन नजर दोष व भूत प्रेत संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए पूजा करनी होती है। मूंगे की माला से पूजा करें। मां के साथ बालभद्र की पूजा करना और भी शुभ होगा। इस दिन जन्मकुंडली में लगन में अगर कोई दोष है तो वो सभ दूर होता है।गुप्त नवरात्रि त्रिपुर भैरवी का मंत्र - ऊँ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्री के सातवे दिन पूजा करने से द्ररिता का नाश होता है। इस दिन हकीक की माला की पूजा करें। गुप्त नवरात्रि मां धूमावती पूजा मंत्र - धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा।
माँ बगलामुखी की पूजा करने से कोर्ट-कचहरी और नौकरी संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। इस दिन पीले कपड़े पहन कर हल्दी माला का जप करना है। अगर आप की कुंडली में मंगल संबंधी कोई परेशानी है तो माँ बगलामुखी की कृपा से जल्द ठीक हो जाएगा।गुप्त नवरात्रि मां बगलामुखी पूजा मंत्र - ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा।
मां मातंगी की पूजा धरती की ओर और मां कमला की पूजा आकाश की ओर मुंह करके करनी चाहिए। इस दिन पूजा करने से प्रेम संबंधी परेशानी का नाश होता है, बुद्धि संबंधी के लिये भी मां मातंगी पूजा की जाती है। गुप्त नवरात्री माँ मातंगी मंत्र - क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा।
माँ कमला की पूजा आकाश की और मुख करके करनी चाहिए। दरअसल गुप्त नवरात्रि के नौंवे दिन दो देवियों की पूजा करनी होती है। माँ कमला मंत्र- क्रीं ह्रीं कमला ह्रीं क्रीं स्वाहा
नौ दिनों तक चलने वाले इस पर्व का समापन पूर्णाहुति हवन एवं कन्याभोज कराकर किया जाना चाहिए। पूर्णाहुति हवन दुर्गा सप्तशती के मन्त्रों से किए जाने का विधान है किन्तु यदि यह संभव ना हो तो देवी के 'नवार्ण मंत्र', 'सिद्ध कुंजिका स्तोत्र' अथवा 'दुर्गाअष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र' से हवन संपन्न करना श्रेयस्कर रहता है।
देवी पूजा में शुद्ध मुहूर्त एवं सही व शास्त्रोक्त पूजन विधि का बहुत महत्व है। शास्त्रों में विभिन्न लग्नानुसार घट स्थापना का फल बताया गया है।
लग्न | फल |
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मेष लग्न | धन लाभ |
वृष लग्न | कष्ट |
मिथुन लग्न | संतान को कष्ट |
कर्क लग्न | सिद्धि |
सिंह लग्न | बुद्धि नाश |
कन्या लग्न | लक्ष्मी प्राप्ति |
तुला लग्न | ऐश्वर्य प्राप्ति |
वृश्चिक लग्न | धन-समृद्धि की प्राप्ति |
धनु लग्न | मान भंग |
मकर लग्न | पुण्यप्रद |
कुंभ लग्न | पुण्यप्रद |
मीन लग्न | हानि एवं दुःख की प्राप्ति होती है। |
मेष राशि के लोगों को स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। दुर्गा सप्तशती या दुर्गा चालीसा का पाठ करें।
वृषभ राशि के लोग देवी के महागौरी स्वरुप की पूजा करें व ललिता सहस्त्रनाम का पाठ करें।
मिथुन राशि के लोग देवी यंत्र स्थापित कर मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। इससे इन्हें लाभ होगा।
कर्क राशि के लोगों को मां शैलपुत्री की उपासना करनी चाहिए। लक्ष्मी सहस्त्रनाम का पाठ भी करें।
सिंह राशि के लोगों के लिए मां कूष्मांडा की पूजा विशेष फल देने वाली है। दुर्गा मन्त्रों का जाप करें।
कन्या राशि के लोग मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें। लक्ष्मी मंत्रो का विधि-विधान पूर्वक जाप करें।
तुला राशि के लोगों को महागौरी की पूजा से लाभ होता है। काली चालीसा का पाठ करें।
वृश्चिक राशि स्कंदमाता की पूजा से इस राशि वालों को शुभ फल मिलते हैं। दुर्गा सप्तशती का पाठ करें।
धनु राशि के लोग मां चंद्रघंटा की आराधना करें। साथ ही उनके मन्त्रों का विधि-विधान से जाप करें।
मकर राशि वालों के लिए मां काली की पूजा शुभ मानी गई है। नर्वाण मन्त्रों का जाप करें।
कुंभ राशि के लोग मां कालरात्रि की पूजा करें। नवरात्रि के दौरान रोज़ देवी कवच का पाठ करें।
मीन राशि वाले मां चंद्रघंटा की पूजा करें। हल्दी की माला से बगलामुखी मंत्रो का जाप भी करे।