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Sharad Purnima - शरद पूर्णिमा की मान्यता,पूजन विधि

शरद पूर्णिमा:शरद ऋतु में आने वाली पूर्णिमा का काफी महत्व माना गया है। मान्यता के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा संपूर्ण...

sharad purnima

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शरद पूर्णिमा पूजा विधि, तिथि एवं व्रत

शरद ऋतु में आने वाली पूर्णिमा का काफी महत्व माना गया है। मान्यता के अनुसार माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा संपूर्ण, सोलह कलाओं से युक्त होता है। कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा पावन अमृत बरसाता है जिससे धन-धान्य, प्रेम, और अच्छी सेहत सबका वरदान प्राप्त होता है। यह वही दिन है जिस दिन भगवान कृष्ण ने महारास रचाया था। ऐसे में जो कोई भी इंसान इस दिन विधिवत तरीके से पूजा-इत्यादि करता है उसे अच्छे स्वास्थ्य, जीवन में प्यार और धन धान्य की प्राप्ति अवश्य ही होती है।

Sharad Purnima 2022 tithi date and time

अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा यानी शरद पूर्णिमा तिथि रविवार, 09 अक्टूबर 2022 को सुबह 03 बजकर 41 मिनट से शुरू होगी। पूर्णिमा तिथि अगले दिन सोमवार, 10 अक्टूबर 2022 को सुबह 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त होगी।

शरद पूर्णिमा की मान्यता (sharad purnima manyata)

जैसा कि हमने पहले भी बताया कि इस दिन का हिन्दू धर्म में ख़ास महत्व माना गया है। ऐसे में उत्तर और मध्य भारत में शरद पूर्णिमा की रात में खीर बनाई जाती है और फिर उस खीर को चाँद की रोशनी में रख दिया जाता है। इसके पीछे ऐसी मान्यता है चंद्रमा की किरणें जब खीर में पड़ती हैं तो यह कई गुना गुणकारी और लाभदायक हो जाती है। कई जगहों पर इसे कौमुदी व्रत भी कहते।

शरद पूर्णिमा का महत्व (sharad purnima mahatva in hindi)

शरद पूर्णिमा से ही स्नान और उपवास की परंपरा की शुरुआत हो जाती है। इस दिन माताएँ अपनी संतान की मंगल कामना और लंबी उम्र के लिए देवी-देवताओं का पूजन और उपवास करती हैं। इस दिन चंद्रमा पृथ्वी के बेहद करीब आ जाता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा की किरणों अगर इंसान के शरीर पर पड़ें तो यह बहुत ही शुभ माना जाता है।

शरद पूर्णिमा पूजन विधि

शरद पूर्णिमा पर मंदिरों में विशेष सेवा-पूजा का आयोजन किया जाता है। आइये अब जानते हैं कि घर में इस दिन की पूजा करने की सही विधि क्या है।

  • इस दिन प्रातःकाल उठकर व्रत का संकल्प लें और फिर किसी पवित्र नदी, जलाशय या कुंड में स्नान करें।
  • इसके बाद पूजा वाली जगह को साफ़ करें और वहां आराध्य देव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें, इसके बाद उन्हें सुंदर वस्त्र, आभूषण इत्यादि पहनाएँ। अब वस्त्र, गंध, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, तांबूल, सुपारी और दक्षिणा आदि अर्पित करें और फिर पूजन करें।
  • रात्रि के समय गाय के दूध से खीर बनाये और फिर इसमें घी और चीनी मिलाकर भोग लगा दें, मध्य रात्रि में इस खीर को चाँद की रोशनी में रख दें।
  • रात को खीर से भरा बर्तन चांदनी में रखकर दूसरे दिन उसका भोजन करें और सबको प्रसाद के रूप में वितरित करें।
  • हिंदी में व्रत कथाएँ
  • पूर्णिमा के दिन व्रत करके कथा अवश्य कहनी या सुननी चाहिए। कथा कहने से पहले एक लोटे में जल और गिलास में गेहूं, पत्ते के दोने में रोली व चावल रखकर कलश की वंदना करें और दक्षिणा चढ़ाएँ।
  • इस दिन भगवान शिव-पार्वती और भगवान कार्तिकेय की भी पूजा होती है।

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