पितृ दोष निवारण के उपाए, कैसे पता लगाए पितृ दोष है या नहीं एवं कैसे प्रसन्न करे पित्रो को पुर्वजों का अपमान करने से भी पितृ दोष व्यक्ति की कुंडली मे बनता है...
पितृ दोष का सीधा सम्बन्ध घर के पूर्वजो व कुल (परिवार) से रखता है। पितृ दोष के कारण व्यक्ति मानसिक , शारिरिक व आर्थिक हर प्रकार से परेशान हो जाता है। कभी कभी तो पितृ दोष पीढ़ी दर पीढ़ी तक भुगतना पड़ जाता है।
1. जो व्यक्ति जीवित रहते हुए अपने माता पिता, का अनादर करता है उनको कष्ट देता है उसे भी पितृ दोष के सामना करना पड़ता है। हमारे सभी धार्मिक ग्रंथो में इसी वजह से माता-पिता के आदर करने के बारे में बताया गया है।
2. जो व्यक्ति मृत्यु के बाद अपने पितृ का श्राद्ध कर्म विधि पूर्वक नही करता है, उनको नही मानता है, उन्हें भी पितृ दोष झेलना पड़ता है।
3. कुलदेवता / कुलदेवी , घर के देवता का अपमान करना, घर पर देवता के स्थान को दूषित रखना इन सभी करने से भी पितृ दोष लगता है। हमारे पूर्वज हमरी रक्षा करते है यदि हम उन्हें पूजना हमारी प्राथमिकता है।
4. पितृ दोष के एक कारण किसी निरअपराध की हत्या करना या उसे अत्यधिक कष्ट देना। अपने धर्म नियमो का पालन न करते हुए गलत आचरण रखना भी होता है।
पितृ धर्म को छोड़ने , पुर्वजों का अपमान करने से भी पितृ दोष व्यक्ति की कुंडली मे बनता है। अगर किसी व्यक्ति की कुंडली मे सूर्य व राहु की युति नवम भाव मे हो या सूर्य पर शनि देव की दृष्टि हो या साथ हो तो पितृ दोष का निर्माण होता है । पितृ दोष होने से व्यक्ति को हर जगह समस्या का सामना करना पड़ता है भले ही वह रोजगार का क्षेत्र हो , विवाह की समस्या , ग्रह कलैश आदि ओर भी अचानक कोई भी घटना घटित हो जाती है। कुंडली के नवम भाव को धर्म व पिता, पूर्वजो का भाव भी कहा जाता है । अगर किसी कारणवश आपके नवम भाव मे कोई दोष हो या खराब ग्रहों से ग्रसित हो तो यह दिखाता है कि पूर्वजों की कुछ ईच्छा पूर्ण नही हो पाई । किसी भी तरह से नवां भाव या नवें भाव का मालिक राहु या केतु से ग्रसित है तो यह पितृदोष का कारण बन जाता है । वैसे कुंडली का पूर्ण रूप से आकलन डिग्री, नक्षत्र , ग्रहो की स्थिति को देखने के बाद ही कहा जाता है कि दोष है या नही ।
1. किसी भी मंदिर में पीपल का वृक्ष लगावे उसमें नित्य जल चढ़ावे। शाम के समय उसमें दूध , गंगाजल, मिश्री आदि अर्पण कर नित्य सरसो के तेल का दीपक लगाकर। पीपल के पेड़ की परिक्रमा करे।
2.अमावास्या की तिथि पर पितरों के निमित पवित्रता का ध्यान रखते हुए पूरे मन व आस्था से भोजन बनाकर ब्राह्मण को भोजन करावे । गाय, कुते व कौए को रोटी, चावल,घी व बुरा देवे। उनके सामने धूप जलावे।
3. किसी मंदिर में उनके नाम से चीनी, दूध सफेद कपड़ा किसी जरूरतमंदों को देने से भी पितृ प्रसन्न होते है।
4. हर अमावस्या पर गाय माता को पांच प्रकार के फल खिलावे एवँ बबूल के पेड़ के नीचे शाम के समय भोजन रखें इस से भी पितृ प्रसन्न होते है।
5. प्रतिदिन अपने कुलदेवता / कुलदेवी की पूजा नित्य करे। उनके घी का दीपक लगावे। इत्र, पुष्प, अर्पित कर भोग लगावे।
6. पितृ दोष निवारण यंत्र की घर पर स्थापना कर प्रतिदिन उसकी पूजा करे। एवँ उसके सामने आसन पर बैठकर ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः का जप 108 बार करे।
7. नवग्रह चालीसा , नाग स्त्रोत्र, रुद्राभिषेक, पितृ स्त्रोत्र ,रुद्र सूक्त का पाठ नित्य करते रहने से पितृ प्रसन्न होते है।
यदि आपकी कुंडली में पितृ दोष है तो जिस प्रकार भगवान से अपनी गलती की क्षमा मांगते है, ठीक उसी प्रकार नित्य अपने पित्रो की तस्वीर के सामने उनसे क्षमा याचना करे। जाने - अनजाने अपनी गलतियों के लिए क्षमा याचना करें। हमेशा पितरों की तस्वीर दक्षिण दिशा की तरफ लगाए एवँ उस पर माला चड़ाये रखें।पितरों के प्रसन्न रहने से आपके जीवन मे आप हर प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती है। आप निरंतर प्रगति की ओर अग्रसर होते हुये समाज मे अच्छे पद पर पंहुचते है।