श्री राव भाव सिंह मंदिर: बूंदी जिले की चारों तहसील मुख्यालयों पर पूजे जाने वाले राव भाव सिंह जी महाराज अत्यंत न्याय प्रिय , दयालु व भक्त प्रकृति के शासक थे..
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श्री राव भाव सिंह मंदिर
एक ओर विक्रमादित्य रावभाव सिंह
बूंदी का इतिहास विरोपितभावना श्रंगार, प्रकृति ,स्थापत्य, चित्र ,साहित्य में ही अपना स्थान नहीं रखता है। अपितु धार्मिक आस्थाओं का भी प्रमुख केंद्र रहा है यहां के शासकों ने न्याय प्रियता में भी अपना स्थान बनाया जिससे वह भगवान की तरह पूजे जाने लगे । राव राजा राव भाव सिंह (1658 से 81 ) दयालु व जनहित भावनाओं के कारण अत्यधिक जनप्रिय थे उनकी उदारता व न्याय प्रिय था उन गुणों में थी जिनके कारण उन्हें समकालीन जनता ने ईश्वर की तरह पूजना प्रारंभ कर दिया था उनकी मृत्यु के बाद बूंदी शहर में मध्य में स्थित पुरानी कोतवाली, के पाटन शहर में स्थित तहसील नैनवा के गढ़ में ,हिंडोली के में उनकी गद्दी की पूजा होती रही जो वर्तमान समय तक भी जारी है।
बूंदी के प्राय सभी दुकानदार प्रातः काल अपनी दुकान खोल कर दुकान की चाबी या इस गद्दी के सामने रखकर पूजा करते थे जो परंपरा आज भी कायम है कहा जाता है।
" भाव को भरोसो, जैसे राम हनुमान को"
ईश का विश्वास नहीं नाही , भाव ।।भाव सिंह ।। को विश्वास है"
बूंदी जिले की चारों तहसील मुख्यालयों पर पूजे जाने वाले राव भाव सिंह जी महाराज अत्यंत न्याय प्रिय , दयालु व भक्त प्रकृति के शासक थे। बूंदी में स्थित उनकी गद्दी पुरानी कोतवाली में मुख्य दरवाजे से पड़ने पर तिबारी के बीच में स्थित है जहां दो आलिये हैं एक आलिये में भाव सिंह की तस्वीर है आलिये के नीचे सिंहासन बना हुआ है जहां बैठकर राजा भाव सिंह न्याय किया करते थे। आलिये के पास में ही शिवलिंग व पार्वती माता की प्रतिमाएं हैं सिंहासन के चारों ओर बूंदी चित्र शैली के धार्मिक चित्र बने हुए हैं जिनमें श्रीनाथ श्री कृष्ण की होली सहित राव राजा भाव सिंह के चित्रों में ईश्वर को दर्शाया गया है। यह चित्र शैली आगंतुक को बरबस ही आकर्षित करती है हनुमान व देवी की कलाकृतियां भी आकर्षित है जिले के चारों सिंहासन पर बैठकर राव भाव सिंह दूध का दूध पानी का पानी करने की शक्ति प्रदान करते थे ।जो उन्हें ईश्वरी रूप प्रदान करती थी और इस ईश्वरीय शक्ति के बलबूते ही वे महान सम्राट विक्रमादित्य की तरह न्याय करने वाले कहलाए। करीब 400 वर्षों को बयान करती राव भाव सिंह की गद्दीयों कि आज भी रोज सेवा पूजा की जाती है किसी का बालक गुम हो गया हो ,किसी के चोरी हो गई हो तो भाव सिंह के मनौती मांगने पर वह पूर्ण हो जाती है वणिक लोग तो भाव सिंह के कायल है।
राव भाव सिंह ने धुश्मेश्वर महादेव द्वादश ज्योतिर्लिंग अजंता एलोरा के पास महाराष्ट्र में छोटे मंदिर को विशाल मंदिर में तब्दील कर बूंदी की शैली स्थापत्य कला का अंकन करवाया हाथी घोड़े के चित्र बनवाए इसके निर्माण में कारीगर भी बूंदी से गए थे।
विक्रमादित्य की तरह सिंहासन पर बैठ कर न्याय करने वाले भाऊ सिंह ने कही प्रकार के जाने अनजाने चमत्कार भी दिखाएं और इसी कारण वह बूंदी जिले की आज भी आस्था का केंद्र बने हुए हैं पुलिस विभाग में कार्यरत लोग भी उनकी पूजा किए बिना अपना कार्य प्रारंभ नहीं करते हैं।
श्री श्री 1008 महाराव राजा राव भाव सिंह जी महाराज की जय।