रामायण की 10 चौपाई जो बदल सकती है आपका जीवन और हो सकता है आपकी सभी समस्याओं का निवारण
आज हर व्यक्ति जीवन मे तरक्की की ओर अग्रसर होना चाहता है परंतु कोई न कोई परेशानी के कारण वह अपने मार्ग से विचलित हो जाता है। हमेशा उन्नति एवँ सदमार्ग पर चलने के लिए रामायण की निम्न चोपाईयो का जाप प्रतिदिन एक माला अर्थात 108 बार करे।इन्हें उपयोग में लेंगे तो आप पाएंगे कि सब कुछ अच्छा ही अच्छा हो रहा है।
जो प्रभु दीनदयाला । आरति हरन बेद जसु गावा।।
जपहि नामु जन आरती भारी । मिटहि कुसंकट होंहि सुखारी।।
दीन दयाल बिरिदु संभारी। हरहु नाथ मम संकट भारी।।
दैहिक,दैविक,भौतिक तापा। रामराज नहि काहुहि व्यापा।।
अल्प मृत्यु नहि कवनिऊ पीरा , सब सुंदर सब बिरुज सरीरा।।
विश्व भरण पोषण कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई।।
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दरिद्र दबारि के।।
जिमि सरिता सागर महूं जाही। जधपि ताहि कामना नाहि।।
तिमि सुखसंपत्ति बिनहि बोलाए । धरमसील पहि जाहि सुभाए।।
पवन तनय बल पवन समाना। बुद्धि विवेक विग्यान निधाना।।
प्रबिसि नगर कीजे सब काजा। ह्रदय राखि कौसलपुर राजा।
तब जनक पाइ वसिष्ठ आसयु , ब्याह साज सँवारि के।
मांडवी श्रुतकीरति उर्मिला , कुँअरि लई हँकारि के।।
जब ते राम ब्याही घर आये, नित नव मंगल मोद बधाये
भुवन चारी दस बूधर भारी, सूकृत मेघ वर्षहिं सूखवारी
रिद्धी सिद्धी संपति नदी सूहाई , उमगि अव्धि अम्बूधि तहं आई
मणिगुर पूर नर नारी सुजाती, शूचि अमोल सुंदर सब भाँति
कही न जाई कछू इति प्रभूति , जनू इतनी विरंची करतुती
सब विधि सब पूरलोग सुखारी, रामचन्द्र मुखचंद्र निहारी
राम सदा सेवक रुचि राखि वेद पुराण साधु सुर साखी
इन मंत्रों का जाप प्रतिदिन करे - जितना ज्यादा सम्भव हो उतना करे। यह मंत्र नही रामायण की चौपाइयां है, यह हमारे जीवन का सार है।