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Jai Bhole

cow worship on bach baras

बछ बारस का पर्व एवं महत्व,एक माँ अपने पुत्र के उज्ज्वल भविष्य की उन्नति एवँ लंबी स्वस्थ आयु की कामना के लिए इस व्रत को करती है

cow worship on bach baras

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बछ बारस का पर्व एवं महत्व :- बछ बारस के पर्व का भारतीय संस्कृति में अत्यधिक महत्व है। भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को पडने वाले इस उत्सव को 'वत्स द्वादशी' के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गाय एवँ बछड़े का पूजन होता है। इसके लिए जल, भीगा हुआ मोठ - बाजरा, मक्के की रोटी, रोली ,चावल,दुब, कपड़ा दक्षिणा चढ़ाई जाती है ।

Ranganath ji ki stuti bundi

शास्त्रों में इसका महत्व बताते हुए कहा गया है कि इस दिन जिस घर की महिलाएं गोमाता का पूजा - अर्चना करती है। गायो को हरा चारा , मूंग - मोठ खिलाकर तृप्त करती है , उस घर मे माँ लक्ष्मी की सदैव कृपा बनी रहती है और उस परिवार में कभी भी कोई अकाल मृत्यु नही होती है। एक माँ अपने पुत्र के उज्ज्वल भविष्य की उन्नति एवँ लंबी स्वस्थ आयु की कामना के लिए इस व्रत को करती है।

पुराणों में गौमाता में समस्त तीर्थ होने की बात कहीं गई है। गौमाता के दर्शन मात्र से ऐसा पुण्य प्राप्त होता है जो बड़े-बड़े यज्ञ, दान आदि कर्मों से भी नहीं प्राप्त हो सकता। मनुष्य गौमाता की निर्मल छाया में अपने जीवन को धन्य कर सकें। गौमाता के रोम-रोम में देवी-देवता एवं समस्त तीर्थों का वास है। इसीलिए समस्त देवी-देवताओं एवं पितरों को एक साथ प्रसन्न करना हो तो गौभक्ति-गौसेवा से बढ़कर कोई अनुष्ठान नहीं है। गौमाता को बस एक ग्रास खिला दो, तो वह सभी देवी-देवताओं तक अपने आप ही पहुंच जाता है।

गौमाता कि पृष्ठदेश में ब्रह्म का वास है, गले में विष्णु का, मुख में रुद्र का, मध्य में समस्त देवताओं और रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगादि नदियां, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र विराजित है। इस दिन घरों में विशेष कर बाजरे की रोटी जिसे सोगरा भी कहा जाता है और अंकुरित अनाज की सब्जी बनाई जाती है। इस दिन गाय की दूध की जगह भैंस या बकरी के दूध का उपयोग किया जाता है।

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