bhairav chalisa benefits in hindi,बटुक भैरव चालीसा के लाभ, काल भैरव चालीसा के लाभ, भैरव चालीसा के लाभ, बटुक भैरव और काल भैरव की उत्पत्ति
प्रतिदिन भैरव चालीसा पाठ करने से धन,बल एवं यश की प्राप्ति होती है। श्री भैरव जी महाराज देवो के देव महादेव के ही अवतार कहे जाते है। भैरव जी महाराज का वाहन कुत्ता(Dog) है। भैरव जी महाराज की कृपा जिनपर पर होती है वह व्यक्ति सदैव निरोगी व भय मुक्त रहते हुए निरन्तर प्रगति की ओर अग्रसर होते रहता है।
श्री भैरव जी महाराज विशालकाय आकार वाले , हाथ मे दंड धारण किये हुये है ,जो व्यक्ति नित्य रूप से श्री भैरव जी महाराज की चालीसा का पाठ करता है वह व्यक्ति सदैव भय से मुक्त रहता है । हमेशा स्वस्थ एवँ प्रसन्न रहता है। भूत - प्रेतों से व्यक्ति को कोई परेशानी नही होती है जो श्री भैरव जी महाराज की पूजन करते है उनकी चालीसा का पाठ करते है भूत - प्रेत उनके निकट भी नही आते है।
श्री भैरव जी महाराज शीघ्र ही प्रसन्न होने वाले माता दुर्गा के पुत्र है। श्री भैरव जी महाराज की चालीसा का पाठ नित्य करने से व्यक्ति अपने जीवन मे हर सुख सुविधा का सम्पूर्ण जीवन मे आनन्द प्राप्त करता है । उस व्यक्ति के धन एवँ बल में निरन्तर वृद्धि होती रहती है। उस व्यक्ति के जीवन मे किसी भी वस्तु की कमी नही रहती है।
अगर किसी जातक/जातिका की कुंडली मे राहु , केतु किसी भी प्रकार से परेशान कर रहे है तो श्री भैरव जी महाराज की पूर्ण विधि विधान से पूजा करने के प्रश्चात भैरव चालीसा पढ़ने से जातक/ जातिका के कुंडली मे राहु ,केतु के दुष्प्रभाव कम होने लगते है।
श्री बटुक भैरव अनुष्ठान को पूर्ण करने से व्यक्ति अपने जीवन का कठिन से कठिन मनोरथ भी पूर्ण कर सकता है। यह अनुष्ठान रवि पुष्य नक्षत्र, दुर्गाष्टमी, होली की पूर्णिमा व ग्रहणकाल को ही पूर्ण किया जाना आवश्यक है। इस अनुष्ठान को रात्रि के समय ही किया जाना उत्तम रहता है।
श्री भैरव जी महाराज को श्याम वर्ण का माना गया है। श्री भैरव जी महाराज के चार भुजाएं हैं, जिनमें श्री भैरव जी महाराज ने त्रिशूल, खड़ग, खप्पर तथा नरमुंड धारण कर रखा है। जो व्यक्ति नित्य श्री भैरव चालीसा का पाठ करता है उसके शत्रु अपने आप ही समाप्त हो जाते है ,उनको सद्बुद्धि मिलती है । श्री भैरव जी महाराज हर प्रकार के शत्रु से अपने भक्तों की रक्षा हरदम करते है ।
श्री भैरव जी महाराज की पूजा अर्चना कर श्री भैरव चालीसा का जो व्यक्ति नित्य पाठ करता है उसे मुकदमे एवँ जमीनी विवादों में शत्रु पक्ष से हमेशा विजयी ही मिलती है। इनके शत्रु इनके सामने टिक नही पाते है।
पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान शिव के रक्त से श्री भैरव जी महाराज की उत्पत्ति हुई। बाद में उक्त रूधिर के दो भाग हो गए- पहला श्री बटुक भैरव जी महाराज और दूसरा श्री काल भैरव महाराज। इसीलिए वे भगवान भोलेनाथ के गण और माता पार्वती के अनुचर माने जाते हैं।
श्री काल भैरव का मंत्र है ॐ भैरवाय नम:।
श्री बटुक भैरव का मंत्र है ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाचतु य कुरु कुरु बटुकाय ह्रीं ॐ।