क्या ब्रह्मचर्य का पालन करते है नरेंद्र मोदी? श्री नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ एक योगी भी है। नरेंद्र मोदी द्वारा ताली थाली बजवाने का आध्यात्मिक सम्बन्ध...
श्री नरेंद्र मोदी जी भारत के प्रधानमंत्री होने के साथ-साथ एक योगी भी है। नरेंद्र मोदी अद्यात्म में बोहत विश्वास करते है इसका संकेत उनके फैसलो से लग जाता है। उनका पहनावा उनके विचार आदि ये बता देते है की वो अध्यात्म में बोहत विश्वास करते है। कोरोना काल में भी नरेंद्र मोदी ने बोहत सारे ऐसे फैसले चाहे वो ताली थाली बजाने का हो या दिए जलाने या फिर सफाई अभियान का हो। नरेंद्र मोदी का अध्यात्म और श्री राम से लगाव ही था जिस कारण देश को खोया हुआ राम मंदिर वापिस मिला।
हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार जब भी व्यक्ति के जीवन में कोई कार्य में कठिनाई आती है तो कई बार लोग सर एवं दाढ़ी के बल नहीं कटाने की बोलारी करते है और ये तो हम सभी जानते है की सावन के महीने में दाढ़ी और बाल नहीं कटाये जाते ये प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही है। कई न्यूज़ चैनल का ये कहना है की प्रधान मंत्री मोदी ने कोरोना के बाद से दाढ़ी बढ़ा रखी है। अगर इस बात से जोड़कर मोदी जी की दाढ़ी को देखा जाये तो अभी कोरोना पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है और नरेंद्र मोदी ने देश के प्रधान मंत्री होने के नाते देश के लिए कोई मन्नत मांगी हो कुकी वे भगवन भोलेनाथ के भक्त भी है। इसी वजह से Naredra Modi जी ने अपनी दाढ़ी अभी तक बड़ा राखी है और कोरोना खत्म होने के बाद वे अपनी दाढ़ी कटवाए।
जबसे नरेंद्र मोदी की सरकार बनी है तब से भारत की संसद में कई प्रकार के ऐसे फैसले भी आये है जिसकी लोगो को कभी उम्मीद भी नहीं थी चाहे वो धरा ३७७,नॉट बंदी या फिर एयर स्ट्राइक। नरेंद्र मोदी फैसले लेने में देर नहीं करते।
हिन्दू धर्म की मान्यताओं के अनुसार ये बात तो सभी जानते है जहा साफ़ सफाई होती है वही माता लक्ष्मी का वास होता है। नरेंद्र मोदी जी ने प्रधान मंत्री बनने के साथ ही एक सपना भारत के प्रत्येक नागरिक के साथ साझा किया था की वे भारत को 5 trillion की economy बनाना चाहते है। तो यदि देश में माता लक्ष्मी की कृपा बरसानी है तो सबसे पहले इसका साफ होना जरूरी है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पुरे देश को अपना परिवार मानते है और पुरे देश में सफाई अभियान चला कर देश की इकॉनमी को बढ़ने और देश के नागरिको के जीवन में सुधार लाने के लिए देश का साफ सुथरा होना बहुत आवश्यक है।
गंगा नदी तो भारत की प्रमुख नदियों में गिना जाता है और हिन्दू मान्यताओं के अनुसार गंगा जी को ऋषि भगीरथ धरती पे लाये थे जो की धरती वासियो की प्यास भुजने के लिए एक बोहत बड़ा कदम था भगवन शिव की जटाओ से निकलने वाली गंगा नदी को हम माँ के सामान पूजते है। यदि देश को एक बार फिर खड़ा करना है तो गंगा नदी की सफाई बहुत महत्व पूर्ण है।
आज भी लोग अपने पापो का निस्तारण करने के लिए गंगा में दुप्की लगते है एवं आज भी मरने के बाद इंसान की आस्तियों को गंगा नदी में ही विसर्जित किया जाता है तो ऐसी नदी का पवित्र होना बोहत आवश्वयक है तभी तो लोगो को मोक्ष की प्राप्ति होगी।
भारत देश को मंदिरो का देश भी कहा जाता है यहाँ आपको हर शहर और हर गांव में मंदिर बने हुए मिलेंगे हमारे मंदिरो में घंटे और घंटिया लगी होती है जिन्हे सुबह शाम आरती के समय बजाया जाता है। इन्हे बजाने के पीछे का कारण अगर हम समझे तो व्यक्ति के अंदर उत्साह और खुशी की भावना को भरना होता है। भारत का प्रत्येक नागरिक बागवान में विश्वास करता है और जब भी कोई मुसीबत आती है तो वो मंदिर की तरफ ही जाता है और वापिस एक आत्मिश्वास के साथ लोटता है जो की व्यक्ति को मुसीबतो से लड़ने का हौसला देती है।
ताली थाली बजाकर लोगो के मन में उत्साह बाद गया और लोग कोरोना जैसी महामारी से लड़ने के लिए मानसिक तोर पर तैयार हो गए। जब भी कोई व्यक्ति कुश होता है तो उसके शरीर में अधिक खून बनता है और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ती है तो ये एक कारण हो सकता है ताली थाली बजवाने के पीछे।
हिन्दू धर्म के रामायण ग्रन्थ के अनुसार जब भगवान श्री राम लंका से विजय प्राप्त करके अयोद्या आये थे तो सभी अयोद्या वासियो ने दिए जलाये थे और उसी दिन को दिवाली के रूप में मनाया जाता है। दिवाली को बुराई पे अच्छाई की जीत का एक त्यौहार माना जाता है। घर में दिया आदि जलाने से नकारात्मक विचार दूर होते है एवं सकारात्मक विचारो का आगमन होता है और लोगो के दिल में उत्साह बना रहता है।
नरेंद्र मोदी ने जब दिया जलवाया तो लोगो में एक बार फिर सकारात्मकता का संचार हो गया और कोरोना जैसी महामारी से लड़ने का हौसला पैदा हो गया। कई लोगो को ये भी कहना है की राम मंदिर का निर्माण शुरू होना था और भगवन श्री राम का एक बार फिर से आगमन होना था ऐसी वजह से देश में दिए जलवाकर भगवान श्री राम का एक बार फिर से स्वागत किया गया इसी बीच टीवी पर रामायण भी आती थी तो लोगो में श्री राम के प्रति प्रेम और बाद गया।
आज के समय में कोण शिव भक्त नहीं है कन्या कुमारी से लेकर कश्मीर तक भारत का बच्चा बच्चा शिव जी का भक्त है तो ये कोई बड़ी बात नहीं है की जिस देश का बच्चा बच्चा शिव भक्त है उस देश का प्रधान मंत्री शिव जी का भक्त ना हो। भगवान शिव के परम भक्त होने का संकेत नरेंद्र मोदी ने कई बार दिया है कुछ ऐसे संकेतो का विवरण हम यहाँ कर रहे है।
1. भारत के प्रधानमत्री के तौर पर जब नरेंद्र मोदी नेपाल के दौरे पर गए थे तो वे अपने आप को भगवान शिव के प्रसिद्ध मंदिर पशुपति नाथ के दर्शन करने से रोक नहीं पाए , नरेंद्र मोदी ने पशुपति नाथ के दर्शन किये एवं श्री शिव चालीसा और रुद्राभिषेक भी किया ये मोदी जी की शिव के प्रति आस्था नहीं तो क्या है।
2. भारत में पर्यटन का केंद्र भगवान शिव की 112 फुट ऊंची मूर्ति जो की कोयंबटूर में बनी है उसका उद्धघाटन भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 24 फरवरी 2017 को किया एक शिव भक्त के लिए इससे ज्यादा सौभाग्य की बात क्या होगी की शिव की प्रतिम का उद्धघाटन करने का मौका मिले।
3. भारत के अन्य बड़े सही मंदिर जैसे सोमनाथ मंदिर, कशी विश्वनाथ मंदिर एवं महाकाल उज्जैन आदि मंदिरों में प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान एवं उसके पहले भी कई बार पूजन की है एक शिव भक्त ही इतना कर सकता है जो भारत के कौने कौने में शिव मंदिरो में जाके पूजन करे।
4. एक बार जब चुनाव के रिजल्ट आने के पहले नरेंद्र मोदी केदारनाथ गए थे तो भगवान भोलेनाथ की पूजन के बाद वे एक रूद्र नाम की एक गुफा में ध्यान लगाने के लिए बैठ गए भारत में और भी प्रधान मंत्री हुए जो भगवान के दर्शन के लिए गए लेकिन केवल नरेंद्र मोदी ही चुनाव के परिणाम की चिंत्ता को दूर करने के लिए रूद्र गुफा में शिव के दयँ में मग्न हो गए ये एक शिव भक्त की ही निशानी है।
नरेंद्र मोदी ब्रम्हाचर्या का पालन करते है या नहीं इसका तो कोई लेख है नहीं न ही कभी मोदी जी ने बताया है लेकिन ऊप्पर दी गयी सारी जानकारी से ये जरूर सिद्ध होता है की प्रधान मंत्री मोदी अद्यात्म में यकीन जरूर करते है और अपने नित्य जीवन में योग और पाठ पूजा करते है यही उनके स्वस्थ बने रहने का कारण है और अपने आद्यात्म के बल पर ही कोरोना जैसी महामारी के समय देश के लिए लड़ रहे है। भारत जैसा देश जिसे अपने आध्यात्मिक पावर की वजह से जाना जाता है उसके प्रधान मंत्री को अद्यात्म में विशवास करना भी चाहिए।