बूंदी के महान राजा कोटा को जीतने वाले राव समर सिंह ने कैसे स्त्री वेश धारण कर पठानों को हराया, समर सिंह ने अपने पिता का अनुसरण करते हुए बड़ी वीरता और योग्यता से शासन चलाया
समर सिंह ने अपने पिता का अनुसरण करते हुए बड़ी वीरता और योग्यता से शासन चलाया । उन्होंने शासन व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। सीमा सुरक्षा हेतु सैनिकों की नियमित भर्ती इन्हीं के शासनकाल की देन है। समरसीके पुत्रों में नरपाल जी(बूंदी),हरपाल जी(जजावर),जैत सिंह और डूंगर सिंह थे। इसी जैत सिंह ने पिता द्वारा केशवराय पाटन के समय जयस्थल की जागीर आबंटित करते समय पिता से भील बाहुल्य क्षेत्र कोटा को विजित करने की इच्छा जताई। पिता से स्वीकृति मिलने पर जैत सिंह ने कड़े संघर्ष के पश्चात भीलो के मुखिया कोटिया भील को परास्त कर संपूर्ण कोटा क्षेत्र पर अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया।
एक घटना के अनुसार किसी समय जैत सिंह कैथून के तोमर राजा से मिलकर लौटते हुए जब भीलो के एक नगर से गुजरा तो उसने वहां के भीलो के साथ-साथ नगर के बाहर स्थित दुर्ग में रहने वाले भील सरदार कोटिया को मारकर युद्ध देवता भैरुँ के स्मारक में एक प्रस्तर गज प्रतिमा स्थापित की। यह स्थापना स्थान कोटा राजधानी के दुर्ग के चार चोपड़ा नाम स्थान के पास है। जैत सिंह के सुरजन नामक पुत्र ने भीलों भीलों के स्थान का नाम कोटा रखकर उसके चारों ओर दीवार बना दी। सुरजन के लड़के धीर देव ने 12 विशाल सरोवर के अलावा किशोर सागर झील भी बनवाई। धीर देव के पुत्र कन्दल के लड़के का नाम मोनगसी था। उसके अफीम और मदिरा के अधिक सेवन की आदतों के देखते हुए उसे बूंदी से निकाल दिया। बाद में कोटा पर धाकर और केसर खां का कब्जा हो गया।
मोंनगसी की पत्नी की चतुराई और बुद्धिमानी से नशे की आदतों से उभर कर कोटा वापस लेने को आतुर हो गए। उनकी पत्नी ने चतुराई से काम लेते हुए कोटा के पठानों को केथुन की लड़कियों के साथ होली खेलने का संदेश भेजा। नियत समय पर 300 सुंदर हाड़ा जाति के लड़कों को स्त्री वेश में सजाकर धात्री के साथ रानी का वेश धरे मोंनगसी ने अबीर गुलाल से पठानों के साथ होली खेलनी आरंभ की। देखते ही देखते तलवारे निकालकर 300 स्त्री वेषधारी हाडाओ ने केसर खां और उसके साथियों को मार डाला। पठान नेता केसर खां की बनवायी मस्जिद इसी नाम से कोटा में आज भी स्थित है।