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Rao Raja Surjan Singh - अकबर के सामने शर्ते रखने वाले राजा

अकबर भी घबरा गया जिससे राव राजा सुरजन सिंह अकबर के सामने 10 शर्ते रखने वाले राजा मानसिंह के साथ राव...

rao raja surjan singh

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राव राजा सुरजन सिंह

अर्जुन के चार पुत्रो में सबसे बड़ा सुरजन सन 1554 में बूंदी के सिंहासन पर बैठा। सुरजन सिंह के बूंदी राज्य की गद्दी पर बैठने के बाद अनेकों राजनीतिक परिवर्तन हुए । बूंदी राज्य में सुदृढ़ विकासोन्मुखी शासन का उदय हुआ। बूंदी राजवंश के एक योग्य सामंत ने अफगान बादशाह द्वारा रणथंबोर प्राप्त कर सुरजन सिंह को सौंप दिया। जिस पर सुरजन सिंह ने सामंत सिंह का बहुत ही सम्मान करते हुए अपने राज्य में एक प्रसिद्ध स्थान का अधिपति बना दिया, इसी सामंत सिंह नाम के योग्य सामंत के वंशज सामंत हाडा कहलाये।

राव सुरजन की अकबर के सामने शर्ते

रणथंभोर के दुर्ग विजित करने में किसी भी तरह की सफलता न मिलने पर बादशाह अकबर ने मानसिंह को यह जिम्मा सौंपा। राजा मान सिंह ने राव सुरजन सिंह से नियत समय तय करके राव से एक शिष्टाचार भेंट की ।इस अवसर पर राजा मानसिंह के साथ चोबदार के भेष में स्वयं अकबर भी साथ थे जिसे वहां मौजूद राव सुरजन सिंह के चाचा ने पहचान लिया और सम्मान पूर्वक बैठने के लिए आसन दिया। मानसिंह के साथ राव सुरजन की गहन मंत्रणा के बाद जो संधि प्रस्ताव बना उसके अनुसार मुख्य 10 शर्तें इस प्रकार थी।

1. बूंदी राजवंश की कोई लड़की कभी भी दिल्ली के बादशाह को नहीं दी जाएगी।

2. बूंदी राज्य से जजिया कर समाप्त किया जाएगा ।

3.बूंदी के राजा को अटक के बाहर युद्ध करने जाने के अधिकार में बादशाह द्वारा कोई अड़ंगा नहीं डाला जाएगा।

4.नेरोजा के उत्सव में बादशाह द्वारा आयोजित मीना बाजार में जिसमें राजपूतों और सामंतों की स्त्रियां शामिल होती है बूंदी से कोई भी स्त्री नहीं बुलाई जाएगी।
5. बूंदी के राजा को शाही दरबार में हथियार सहित जाने का अधिकार होगा। 6.बूंदी के देवी स्थानों की मर्यादा से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी ।

7.बूंदी के राजा को किसी भी हिंदू नरेश के अधिनस्थ रहने को बाध्य नहीं किया जाएगा।

8. शाही घोड़ों का चिन्ह मोदी की आरोही सेना पर नहीं थोपा जाएगा ।

9.दिल्ली प्रस्थान के समय मार्ग पर दिल्ली के लाल द्वार तक बूंदी के राजा बाजो नक्कारे से जाने के अधिकारी हो ।

10. बूंदी के राजा दिल्ली के बादशाह के समान अपनी राजधानी में हर तरह के मनोवांछित परिवर्तन करने के अधिकारी होंग।

उपरोक्त शर्तों के बाद संधि हो जाने पर सम्राट अकबर ने बूंदी नरेश सुरजन सिंह को राव के स्थान पर राजा की उपाधि देकर तीर्थ स्थान काशी में महल बनवाने का अधिकार दे दिया। जिस समय संधि के बच्चा रावत सुरजन ने रणथंबोर खाली किया तब किले से दो भगवान की मूर्तियां दो तोपे( धुधावणी और कड़क बिजली)बूंदी भिजवाई ।इनमें से एक मूर्ति चारभुजा मंदिर तिलक चौक बूंदी और दूसरी कल्याण जी के नाम से बारां में स्थित है।

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