Rangnath ji ki Stuti, Rangnath ji Temple in bundi,अनेक पापियों एवं अपने भक्तो के अनेक कर्मों से उत्पन्न पापों का नाश करने वाले..
अथ निजांगिनां नैजकर्मणामनणुपापिनां पापनाशनम् ।
भवभयार्तिहं बुंदधीशर्तु भजत सर्वदा रंगनाथकम् ।।
गिरिधरं धराभारहारिणं हरिणदारिणं भूमिधारिणम् ।
भवन निष्ठितं सर्वथान्तरं भजत सर्वदा रंगनाथकम् ।।
विपणिमध्यगं श्रीविमानगं सुमनसांसृजासज्जितं सदा ।
जयकरं सदा बुन्दधीशर्तु भजत सर्वदा रंगनाथकम् ।।
विविध पुष्पकाबद्धयष्टिका कलितवत्तरै रक्तयष्टिका ।
स्तुतिकरै बुधैरग्रतोगतं भजत सर्वदा रंगनाथकम् ।।
शरदि संगतं राधयास्वया शमन सोदराकूल संस्थितम् ।
निशि तथा स्मरस्मारिणं प्रियं भजत सर्वदा रंगनाथकम् ।।
सकल गोपिका हृत्सरोरुहं परिवृतं श्रिया वामभागतः ।
धृतशरासनं शत्रुनाशनं भजा सर्वदा रंगनाथकम् ।।
प्रकृति संगतं संसृतिंगतं गुणयतं यथा निर्गुणं तथा ।
अवविनाशिनोत्पत्ति हेतुकं भजत सर्वदा रंगनाथकम् ।।
सुमतमष्टकं सर्वदा पठेत् नृपसभाजितो रंगेयात्रिकः ।
स्वकृत दुष्कृतं हंति व्यक्तियत् सुरनदीधरो नम्रकंधरः ।।
1. अनेक पापियों एवं अपने भक्तो के अनेक कर्मों से उत्पन्न पापों का नाश करने वाले , शारारिक संतापों को नष्ट करने वाले भगवान श्री रंगनाथ जी का शासक सदैव भजन करते है ।
2. गोवर्धन को धारण करने वाले , पृथ्वी का भार धूर करने वाले , एवं हिरणकश्यप का नाश करने वाले एवं पृथ्वी का पालन करने वाले भगवान रंगनाथ जी का जो सभी के मन मंदिर में निवास करते है, उनका हमे भजन करना चाहिए ।
3. डोल यात्रा के विमान से बाजार मध्य मे गुजरते हुए पुष्प मालाओं से सुसज्जित विमान में विराजे हुए श्री रंगनाथ जी सभी को सफलता दिलवाने वाले है । इसलिए बून्दी के शासक और जनता उनका भजन करें ।
4. अनके रंगों वाली पुष्प मालाओं से सुसज्जित , लाल रंग की छड़ियों से सुशोभित विद्वान जन उनकी स्तुति करते हुए विनान के आगे - 2 चल रहे है ।
5. शरद ऋतू में अपनी चिरन्तन शक्ति राधिका जी के साथ यमुना के किनारे शरद पूर्णिमा की रात्रि में गोपियो मिलन उत्कण्ठा जाग्रम करने वाले श्री रंगनाथ जी की हमे सेवा करनी चाहिए ।
6. जिन भगवान के बाएं भाग में श्री राधिका जी सुशोभित है और समस्त गोपियों के हदयरूपी कमलों से घिरे हुर धनुष बाण धारण किये हुए, समस्त शत्रुओं का नाश करने वाले श्री रंगनाथ जी सी सबको सेवा करनी चाहिए ।
7. अपनी योग माया के साथ रहते हुए त्रिगुणात्मिका माया से सृष्टि करते हुए तथा सगुण साकार होते हुए भी निर्गुण निराकार रहने वाले श्री भगवान रंगनाथ जी की हमे सेवा करनी चाहिए ।
8. श्री रंगनाथ जी के डोल यात्रा में भाग लेने वाले शासक वर्ग से सम्मान पाने वाले अपने द्वारा किये गये पापों को मिटाने वाले इस श्रेष्ठ रंगनाथाष्टक को सदैव पढ़ने वाले नतमस्तक श्री गंगाधर शास्त्री है। जिसका हमे भी नित प्रतिदिन आराधना व पाठ करना चाहिए ।