तुलसी माता की की कहानी कैसे श्री कृष्णा को करनी पड़ी बूढी औरत की मदद,ये कहानी जो भी पडेगा व सुणेगा उसको भी श्री कृष्णा और तुलसी माता की कृपा से स्वर्ग मे स्थान मिलेगा
एक बुढ़िया माई थी । तुलसा के गमले के नीचे बैठकर कहता - तुलसा तू रानी तू खदाती , तू श्री कृष्ण की प्यारी , बिलड़ा सींचू तेरा , तू कर निस्तारा मेरा , चटके की चाल दीजो , बैकुंठ का बास दीजो , एकादशी का दिन दीजो , कार्तिक मास का महीना दीजो अब तुलसा माई सूखने लगी । अब श्री कृष्ण जी आये बोले तुलसा माई तू क्यों सूखने लगी । बोली - एक बुढ़िया माई आती है , वो कहती है तुलसा रानी , तू सुखदाती , तू श्री कृष्ण की प्यारी , बिलड़ी सोचूं तेरा , तू कर निस्तारा मेरा , चटके की चाल दीजो , पटके की मौत दीजो , श्री कृष्ण का कांध दीजो , बैकुंठ का बास दीजो , एकादशी का दिन दीजो , कार्तिक का महीना दीजो , सो सब कुछ दे दूंगी , तुम्हारी कंधा कहां से दूंगी । कृष्ण जी बोले - तू फिक्र मत कर मैं सब दे दूंगा । एकादशी का दिन आया , कार्तिक का महीना आया ।
बुढ़िया माई का तुलसा के गमले के नीचे शरीर पूरा हो गया । सारे नगर के लोग बेटे - पोते उठावे । बुढ़िया माई ना उठे । कहने लगे पता नहीं क्या बात है । बुढ़िया ना उठे इतने में कृष्ण जी एक छोटे से लड़के का रूप धारण करके आये बोले क्यों भीड़ लगा रखी है । सब बोले इस बुढ़िया माई का शरीर पूरा हो गया है । बालक बोला मैं भी देखूगा जाकर बुढ़िया के कान में बोले बुढ़िया माई मैं आ गया और पीताम्बर की धोती बुढ़िया के ऊपर डाल दी । चन्दन की लकड़ी फूंक दी । श्री कृष्ण की बात सुनकर बूढी औरत हलकी हो गयी, बूढ़ी औरत को मुक्ति मिल गयी और वो श्री कृष्णा के कंधे पर बैकुंठ धाम चली गयी । ये कहानी जो भी पडेगा व सुणेगा उसको भी श्री कृष्णा और तुलसी माता की कृपा से स्वर्ग मे स्थान मिलेगा ।