इस लेख में हम कुंडली के विभिन्न भावों और ग्रहों की स्थिति के आधार पर विदेश यात्रा के प्रमुख योगों की चर्चा की है। क्या आपकी कुंडली में भी विदेश जाने के प्रबल योग हैं? यहाँ जानें पूरी जानकारी।
किसी भी व्यक्ति की कुंडली के दसवे भाव से उसके कार्य क्षेत्र एवं आजीविका का पता चलता है , ओर कर्म कारक ग्रह शनि देव आजीविका के नेसर्गिक कारक होते है , कुछ योग होते है कुंडली मे जिससे पता चलता है की विदेश जाने के योग कुंडली मे है या नही जो की निम्न प्रकार है ।
किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली का 12वे भाव का संबंध विदेश यात्रा से होता है इस कारण ही इसे दुख का भाव होने के बावजूद सुअवसर से देखा जाता है विदेश जाने के लिए कुंडली के 12 वे भाव चंद्र देव की स्थिति एवं शनि देव की कुंडली मे क्या स्थिति है वह देखा जाता है ।
1. जन्मकुंडली के सातवे भाव या लग्न मे मजबूत चन्द्रमा की उपस्तिथि विदेश व्यापार का संकेत देती है ।
2. जन्मकुंडली के 12वे भाव मे चन्द्रमा है तो विदेश यात्रा के योग बनते है ।
3. शनि देव व चंद्र देव की युति भी अगर 12 वे भाव मे हो तो विदेश यात्रा का योग बनाती है ।
4. 7 वे भाव का स्वामी 12 वे भाव मे हो या 12 वे भाव का स्वामी 7वे भाव मे हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते है ।
5. राहु अगर जन्मकुंडली मे 10 वे या भाग्य भाव मे है तो भी विदेश यात्रा के योग बनते है।
6. अगर जन्मकुंडली मे लग्न के स्वामी 12 वे भाव मे विराजीत हो ओर 12 वे भाव के स्वामी लग्न मे विराजीत है तो भी विदेश यात्रा के योग बनते है ।
7. अगर जन्मकुंडली मे 10 वे भाव के स्वामी 12 वे भाव मे है तो विदेश यात्रा के योग बनते है।