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Jai Bhole

aath vaaro ki kahani | kartik maas ki kahani

कार्तिक माह में आठ वारों की कहानी: एक बामन बामनी बहुत गरीब थे बामनी कहती कुछ कमा के ला बामन कहता मैं कमाना क्या जानूं बामनी...

aath vaaro ki kahani

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कार्तिक माह में आठ वारों की कहानी

एक बामन बामनी बहुत गरीब थे। बामनी कहती कुछ कमा के ला बामन कहता मैं कमाना क्या जानूं। बामनी कहती ना ला तो चल दिया बोला राम कमानों जानू ना। राम कमानों जानू ना । भगवान एक ब्राह्मण का रूप धारण करके आये। यार कहकर बात वो बोला राम कमानों जानू ना। ब्राह्मण बोला मैं भी कमानों ना जानू। एक आठ वार की कहानी जानू हूं । उसका नेम है बोला भाई कह दे। बोला इतवार , सोमवार , मंगलवार , बुधवार , बृहस्पतिवार , शुक्रवार , शनिवार , राहु , केतु , गुरु जी ध्यान धरूं। पार्वती की सेवा करूं, उसने कहा बहुत अच्छा कही एक बार फिर कह दे।

उसने भी नेम लिया। वहां से चल दिया आगे हाली हल चला रहा था। बोला मेरी कहानी सुन ले। वो बोला तेरी कहानी सुनूंगा इतने में हल चलाऊंगा वो फिर आगे चल दिया। हाली के बैल की टांग टूट गई , हाली के पेट में दर्द हो गया उसने आवाज दी , राह बटेरु कह कहानी मैं सुनूंगा। उसने कही इतवार , सोमवार , मंगलवार , बुद्ध , बृहस्पति , शुक्र , शनि , राहु , केतु , गुरु जी का ध्यान करूं पार्वती जी सेवा करूं बोला बहुत अच्छी कही । एक बार फिर कह दे उसने फिर कही उसके पेट का दर्द ठीक हो गया , बैल की टांग भी ठीक हो गयी। हल जोतने लगा तो धन का टोकना निकला। हाली बोला तेरा धन है तू ले जा। उसने कहा तेरा ही है । सुने का फल या आठ वार की कहानी का फल आगे चल दिया।

आगे पनिहारी पानी भर रही थी बोला मेरी कहानी सुन ले, बोली मैं तो पानी भरके जा रही हूँ । मेरे बालक रो रहे हैं उसने ना सुनी । उसकी रस्सी टूटकर बाल्टी कुएँ में गिर गई । वो बोली राह बटेरु कह कहानी , मैं सुनूंगी, उसने कही उसने सुनी । एक बार फिर कह दे , उसने कही, उसके मिट्टी के बर्तन पीतल के हो गए । कुएँ से बाल्टी निकल आयी पानी भर के चली गई । आगे गया बेटी के गया । बच्चे बोले के नाना के लाया बोला मैं तो कुछ भी नहीं लाया एक आठ वार की कहानी लाया हूँ । नाना तो वही कह दे । नाना ने कही उसने सुनी इतवार , सोम , मंगल , बुद्ध , वीर , शुक्र , शनि , राहु , केतु , गुरु जी का ध्यान धरूं । नाना बहुत अच्छी लगी एक बार फिर कह दें । उसने फिर कही बेटी के घर में खूब धन हो गया । बच्चे बोले कहानी सुने का फल है , आठ वार की कहानी का फल है ।

फिर आगे चल दिया, ब्राह्मणी दरवाजे पर खड़ी थी । बोली यो तो खाली हाथ आ गया । बोला मैं कहूं था ना कि कमानो ना जानू । वो बोली कुछ तो लाया होगा।बोला एक आठ वार की कहानी लाया हूं । बोली वो ही कह दे । ब्राह्मण ने कही ब्राह्मणी ने सुनी, इतवार , सोम , मंगल , बुद्ध , वीर , शुक्र , शनि , राहु , केतु , गुरु जी का ध्यान करूं, पार्वती जी की सेवा करूं । बोली अच्छी कही फिर कह । उसने फिर कहीं । उसके घर में खूब धन हो गया। बोली तुम कह रहे थे कुछ ना लाया बोला ये कहानी सुनने का फल है , आठ वार की कहानी का फल है । जैसे उस ब्राह्मण ने आठ वार की कहानी सुनाई सबने सुनी। कहते सुनते हुंकारा भरते ने।

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