मंदिर में भगवान जगन्नाथ,उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ की मूर्तियां हैं लकड़ी की मूर्तियों वाला ये देश का अनोखा मंदिर है जगन्नाथ...
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जगन्नाथ पुरी मंदिर एवँ रहस्य
मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ की मूर्तियां हैं। लकड़ी की मूर्तियों वाला ये देश का अनोखा मंदिर है। जगन्नाथ मंदिर की ऐसी तमाम विशेषताएं हैं, साथ ही मंदिर से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं जो सदियों से रहस्य बनी हुई हैं।
हिंदू धर्म के हिसाब से चार धाम बदरीनाथ, द्वारिका, रामेश्वरम और पुरी है मान्यता है कि भगवान विष्णु जब चारों धाम पर बसे तो सबसे पहले बदरीनाथ गए और वहां स्नान किया, इसके बाद वो गुजरात के द्वारिका गए और वहां कपड़े बदले द्वारिका के बाद ओडिशा के पुरी में उन्होंने भोजन किया और अंत में तमिलनाडु के रामेश्वरम में विश्राम किया, पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ का मंदिर है।
पुरी के इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बालभद्र और बहन सुभद्रा की काठ (लकड़ी) की मूर्तियां हैं। लकड़ी की मूर्तियों वाला ये देश का अनोखा मंदिर है। जगन्नाथ मंदिर की ऐसी तमाम विशेषताएं हैं, साथ ही मंदिर से जुड़ी ऐसी कई कहानियां हैं जो सदियों से रहस्य बनी हुई हैं।
मंदिर से जुड़ी एक मान्यता है कि जब भगवान कृष्ण ने अपनी देह का त्याग किया और उनका अंतिम संस्कार किया गया तो शरीर के एक हिस्से को छोड़कर उनकी पूरी देह पंचतत्व में विलीन हो गई। मान्यता है कि भगवान कृष्ण का हृदय एक जिंदा इंसान की तरह ही धड़कता रहा, कहते हैं कि वो दिल आज भी सुरक्षित है और भगवान जगन्नाथ की लकड़ी की मूर्ति के अंदर है।
जगन्नाथ पुरी मंदिर की तीनों मूर्तियां हर 12 साल में बदली जाती हैं। पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां स्थापित की जाती हैं। मूर्ति बदलने की इस प्रक्रिया से जुड़ा भी एक रोचक किस्सा है। जिस वक्त मूर्तियां बदली जाती हैं तो पूरे शहर में बिजली काट दी जाती है, मंदिर के आसपास पूरी तरह अंधेरा कर दिया जाता है। मंदिर के बाहर सीआरपीएफ की सुरक्षा तैनात कर दी जाती है मंदिर में किसी की भी एंट्री पर पाबंदी होती है, सिर्फ उसी पुजारी को मंदिर के अंदर जाने की इजाजत होती है जिन्हें मूर्तियां बदलनी होती हैं।
पुजारी की आंखों पर भी पट्टी बांधी जाती है, हाथों में ग्लव्स पहनाए जाते हैं। इसके बाद मूर्तियां बदलने की प्रक्रिया शुरू होती है पुरानी मूर्तियों की जगह नई मूर्तियां लगा दी जाती हैं, लेकिन एक ऐसी चीज है जो कभी नहीं बदली जाती, ये है ब्रह्म पदार्थ. ब्रह्म पदार्थ को पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में लगा दिया जाता है।
ब्रह्म पदार्थ क्या है, इसके बारे में आजतक कोई जानकारी किसी के पास नहीं है बस कुछ किस्से हैं जो मूर्ति बदलने वाले पुजारियों से सुनने को मिले हैं। ये ब्रह्म पदार्थ हर 12 साल में पुरानी मूर्ति से नई मूर्ति में बदल दिया जाता है, लेकिन मूर्ति बदलने वाले पुजारी को भी नहीं पता होता है कि वो क्या है। मान्यता ये है कि इस ब्रह्म पदार्थ को अगर किसी ने देख लिया तो उसकी मौत हो जाएगी. कहा ये भी जाता है कि अगर इस पदार्थ को किसी ने देख लिया तो सामने वाले के शरीर के चीथड़े उड़ जाएंगे।
एक किस्सा ये है कि इस ब्रह्म पदार्थ को हमेशा श्रीकृष्ण से जोड़कर देखा जाता है, मूर्ति बदलने वाले कुछ पुजारियों ने बताया है कि जब ब्रह्म पदार्थ पुरानी मूर्ति से निकालकर नई मूर्ति में डालते हैं तो हाथों से ही ऐसा किया जाता है, उस वक्त ऐसा लगता है कि हाथों में कुछ उछल रहा है, जैसे खरगोश उछल रहा हो, कोई ऐसी चीज है जिसमें जान है। क्योंकि हाथों में दस्ताने होते हैं इसलिए उस पदार्थ के बारे में ज्यादा एहसास नहीं हो पाता है. यानी ब्रह्म पदार्थ के किसी जीवित पदार्थ होने की कहानियां जरूर हैं, लेकिन इसकी हकीकत क्या है, ये कोई नहीं जानता हैं।