श्री दधिमथी अष्टापदी ( Dadhimati ashtapadi) जय जय जनक सुनन्दिनी हरि बन्दिनी है
जय जय जनक सुनन्दिनी हरि बन्दिनी है , हरि वन्दिनी है ,
दुष्ट निकन्दनी मात जय जय विष्णु प्रिये ।।1।।
सकल मनोरथ दोहिनी , जग सोहिनी है ।
पशुपतिमोहिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये ।।2।।
विकट निशाचरकुन्थिनी , दधिमंथिनी है ।
त्रिभुवन - ग्रन्थिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये ।।3।।
दिवानाथ सम भासिनी , मुख हासिनी हे ।
मरुधर वासिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये।।4।।
जगदम्बे जयकारिणी , खलहारिणी हे ।
मृगरिपुचारिणी मात , जय जय विष्णु प्रिये।।5।।
पिप्लादमुनिपालिनी , वपुशालिनी हे ।
खलदलदालिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये।।6।।
तेजर्विजित सौदामिनी , हरि - भामिनी हे ।
अयिगजगामिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये ।।7।।
धरणीधर सुसुहायिनी , श्रुतिगायिनी है ।
वांछितदायिनी मात , जय जय विष्णु प्रिये ।।8।।