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महर्षि श्रंग ऋषि की आरती
ॐ जय -जय शान्तपते , प्रभु जय -जय शान्तपते ।
पूज्य पिता हम सबके, तुम पालन करते । ॐ जय ...
शान्ता संग विराजे, ऋषि श्रृंग बलिहारी । प्रभु......
जस गिरिजा संग सोहे, भोले त्रिपुरारी । ॐ जय ....
लोमपाद की रजधानी में, जब दुर्भिक्ष परयो । प्रभु.....
वृष्टि हेतु बुलवाये, जाय सुभिक्ष करयो । ॐ जय .....
महायज्ञ पुत्रेष्ठी, दशरथ घर कीनो । प्रभु.....
प्रकट भये प्रतिपाला, दीन शरण लीनो । ॐ जय .....
शीश जटा शुभ सोहे, श्रृंग एक धरता । प्रभु......
सकल शास्त्र के वेत्ता, हम सबके करता । ॐ जय .....
सब बालक हम तेरे, तुम सबके स्वामी । प्रभु......
शरण गहेंगे तुमरी, ऋषि तव अनुगामी । ॐ जय ......
विनय हमारी तुमसे, सब पर कृपा करो । प्रभु....
विद्या बुद्धि बढ़ाओ,उज्ज्वलभाव भरो । ॐ जय .....
हम संतान तुम्हारी, श्रृद्धा चित्त लावें । प्रभु.....
मंडल आरती ऋषि श्रृंग की, प्रेम सहित गावें ॐ जय .....
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