×
Home Free Jyotish Consultation Rate Us On Google Play Share Our App
Jai Bhole

Jai Bhole

Dussehra 2023 | vijayadashami pujan vidhi

विजयादशमी मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 43 मिनट तक है । इस दौरान अपराजित पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस मुहूर्त में सभी कार्य...

vijayadashami pujan vidhi

Total Mala Count (माला गिनती) : 0



दशहरा पूजन विधि

आश्विन शुक्ल दशमी को श्रवण का सहयोग होने से विजयादशमी होती है। इसे दशहरा के नाम से भी जाना जाता है। विजयादशमी का त्योहार वर्षा ऋतु की समाप्ति तथा शरद के आरंभ का सूचक है। इन दिनों दिग्विजय यात्रा तथा व्यापार के पुनः आरंभ की तैयारियाँ होती हैं। चौमासे में जो कार्य स्थगित किए गए होते हैं, उनके आरंभ के लिए साधन इसी दिन से जुटाए जाते हैं। क्षत्रियों का यह बहुत बड़ा पर्व है। इस दिन सरस्वती-पूजन तथा शस्त्र-पूजन आरंभ करते हैं।

आश्विनस्य सिते पक्षे दशम्यां तारकोदये।
स कालो विजयो ज्ञेयः सर्वकार्यार्थसिद्धये ॥

दशहरा पूजा मुहूर्त

विजयादशमी मुहूर्त दोपहर 1 बजकर 58 मिनट से 02 बजकर 43 मिनट तक है । इस दौरान अपराजित पूजा करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि इस मुहूर्त में सभी कार्य सिद्ध होते है एवं विजय प्राप्त होती है।

क्षत्रिय वर्ग दशहरा पूजन विधि

साधक को चाहिए कि इस दिन प्रातः स्नानादि नित्य कर्म से निवृत्त होकर निम्न संकल्प लें :-

मम क्षेमारोग्यादिसिद्ध्‌यर्थं यात्रायां विजयसिद्ध्‌यर्थं
गणपतिमातृकामार्गदेवतापराजिताशमीपूजनानि करिष्ये ।

पश्चात देवताओं, गुरुजन, अस्त्र-शस्त्र, अश्व आदि का यथाविधि पूजन करें। इसके बाद अश्व पर आरूढ़ होकर अपराह्न में गज, तुरग, रथ सहित यात्रा पर ईशान कोण में रवाना हों। रास्ते में शमी (जांटी या खेजड़ा) और अश्मंतक (कोविदार या कचनार) के समीप उतरकर शमी के मूल की भूमि का जल से प्रोक्षण करें। फिर पूर्व या उत्तर मुख बैठकर पहले शमी का पूजन निम्न मंत्र का पाठ करते हुए करें :-

शमी शमय मे पापं शमी लोहितकंटका।
धारिण्यर्जुन बाणानां रामस्य प्रियवादिनी॥

करिष्यमाणयात्रायां यथाकालं सुखं मम।
तत्र निर्विघ्नकर्त्री त्वं भव श्रीरामपूजिते ॥

फिर अश्मंतक की प्रार्थना निम्न मंत्र से करें :-

अश्मंतक महावृक्ष महादोषनिवारक।
इष्टानां दर्शनं देहि शत्रूणां च विनाशनम्‌॥

पश्चात शमी या अश्मंतक के या दोनों के पत्ते लेकर उनमें पूजा स्थान की थोड़ी सी मृत्तिका, कुछ चावल तथा एक सुपारी रखकर कपड़े में बांध लें और कार्यसिद्धि की कामना से अपने पास रखें। फिर आचार्य का आशीर्वाद लें। पश्चात पूर्व दिशा में विष्णु की परिक्रमा करके अपने शत्रु के स्वरूप को हृदय में और उसके चित्र को दृष्टि में रखकर सुवर्ण के शर से उसके मर्मस्थल का भेदन करें। फिर 'शत्रु को जीत लिया है' कहते हुए वृक्ष की परिक्रमा करें। जो साधक प्रतिवर्ष इस प्रकार 'विजया' करता है, उसकी शत्रु पर सदैव विजय होती है।

सामान्यजन के लिए दशहरा पूजन विधि

सामान्यजन को चाहिए कि इस दिन प्रातःकाल देवी का विधिवत पूजन करके नवमीविद्धा दशमी में विसर्जन तथा नवरात्र का पारण करें। अपराह्न बेला में ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन, कुंकुम आदि से अष्टदल कमल का निर्माण करके संपूर्ण सामग्री जुटाकर अपराजिता देवी के साथ जया तथा विजया देवियों का पूजन करें।

शमी वृक्ष के पास जाकर विधिपूर्वक शमी देवी का पूजन कर शमी वृक्ष के जड़ की मिट्टी लेकर वाद्य यंत्रों सहित वापस लौटें। यह मिट्टी किसी पवित्र स्थान पर रखें। इस दिन शमी के कटे हुए पत्तों अथवा डालियों की पूजा नहीं करनी चाहिए। विजयोत्सव अधूरा रह जाता है अगर हम रावण दहन का आनंद न लें।

एक तरफ जहाँ बड़े-बड़े दशहरा मैदानों में रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों के दहन की परंपरा है साथ ही आज छोटी-छोटी गलियों व घरों में भी यह आयोजन होने लगे हैं। काम-क्रोध-मद-लोभ रूपी इस रावण का दहन कर सभी आगामी वर्ष की सफलता की कामना करते हैं।

Total Mala Count (माला गिनती) : 0

Our Services
Articles For You