×
Home Free Jyotish Consultation Rate Us On Google Play Share Our App
Jai Bhole

Jai Bhole

Karva Chauth 2022 Puja Time | Karva Chauth Vrat Puja Samagri

जानिए करवा चौथ(karwa chauth) व्रत पूजा विधि, पूजा थाली सामग्री एवं चाँद निकलने का समय

karwa chauth pujan and thali

Total Mala Count (माला गिनती) : 0



करवा चौथ माता व्रत पूजन विधि (Karva Chauth Vrat Puja Vidhi)

करवा चौथ का व्रत हर सुहागन स्त्री के जीवन में बहुत महत्व पूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं पूरे दिन निर्जला रहकर व्रत करती हैं। कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस बार करवा चौथ का व्रत 4 नवंबर को किया जाएगा। करवा चौथ को लेकर महिलाएं कुछ दिन पहले से ही तैयारियां शुरु कर देती हैं। सुहागन स्त्रियां करवा चौथ का त्योहार बहुत ही हर्षोल्लास के साथ मनाती हैं। जिन लड़कियों की शादी के बाद पहली करवा चौथ होती है उनके लिए यह दिन और भी खास होता है। लड़कियों के लिए मायके से वस्त्र और सुहाग का सामान आता है सास की तरफ से भी सरगी दी जाती है। अगर आप भी पहली बार करवा चौथ का व्रत करने जा रही हैं तो इसकी पूरी पूजा विधि की जानकारी होनी चाहिये।

करवा चौथ का व्रत पूरे दिन बिना कुछ खाए पीए निर्जला व्रत किया जाता है। करवा चौथ की पूजा करने का प्रावधान विशेष तौर पर रात्रि के समय चांद निकलने के बाद होता है। इसलिए सुबह स्नानादि करके पुजा घर में भगवान के समक्ष पूजा करके व्रत आरंभ करें। अगर आपके यहां सुबह सूर्योदय से पहले सरगी की परंपरा है तो जल्दी उठकर सरगी खा लें। सरगी में सास अपनी बहू को मेवा, फल और मीठी चीजे देती है, साथ ही में सास अपनी बहू को सुहाग का सामान भी देती है।

करवा चौथ व्रत पूजन सामग्री (Karwa Chauth Puja Samagri)

करवा चौथ की थाली में रोली, महावर, लौंग-कर्पूर, जल का भरा हुआ टोटी वाला लोटा, प्रसाद, फूल, घी का दीपक, धूपबत्ती, श्रृंगार का सामान, दूर्वा, मिट्टी का करवा उसमें भरने के लिए चावल या मीठे बताशे, पूजा की सींक आदि। इसके साथ ही करवा चौथ का कैलेंडर-शिव पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमाएं। इसके अलावा आप जो भी भोजन बनाएं उसे भी साथ में रखें।

करवा चौथ माता व्रत पूजन थाली

करवा चौथ का व्रत चंद्रमा को अर्घ्य देने के पश्चात पति के हाथ से जल पीकर तोड़ा जाता है। करवा चौथ के दिन कथा पढ़ने का प्रावधान भी है, इसलिए अपने घर की परंपरा अनुसार दिन या संध्या के समय करवा चौथ की कथा पढ़े या सुने। शाम की पूजा के लिए चंद्रमा निकलने के पहले ही सारी तैयारियां करके रख लें। इस दिन सोलह श्रंगार करने का बहुत महत्व होता है। पूजन से पहले गाय के गोबर लगाकर उस पर पीसे हुए चावल या खड़िया से चंद्रमा की आकृति बनाएं। एक पटरी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें। उसके बाद दीपक जलाकर पूजा प्रारंभ करें। चंद्रमा की आकृति पर तिलक करें। देवी-देवताओं को तिलक लगाएं। लौंग कर्पूर जलाएं। फल फूल अर्पित करें। श्रंगार की सभी सामाग्री की भी पूजा करें। तत्पश्चात छलनी में दिया लेकर चंद्रमा का प्रतिबिंब देखे उसके बाद अपने पति का चेहरा देखें। चंद्रमा की आरती करें और हाथों में पूजा की सींक लेकर जल से चंद्रमा को अर्घ्य देते हुए सात परिक्रमा करें। पूजा संपन्न हो जाने के बाद अपने पति के हाथों से जल पीकर व्रत खोलें, घर के सभी बड़ो का आशीर्वाद लें।

करवा चौथ के दिन चंद्रोदय का समय (karwa chauth chand time)

करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा का बहुत ही महत्व है। व्रत रखने वाली महिलाएं चंद्रमा को जल अर्पित करने के बाद ही जीवनसाथी के हाथ से जल ग्रहण करती हैं। करवा चौथ के व्रत को पूर्ण करने के लिए चंद्रमा का देखना आवश्यक माना जाता है। 13 अक्टूबर करवा चौथ के दिन अमृत काल में शाम 04 बजकर 08 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 09 मिनट तक पूजा का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त रहेगा। इस तरह आपको पूजा के लिए कुल 1 घंटा 42 मिनट का समय मिलेगा। इस साल करवा चौथ पर चंद्रोदय का समय रात 08 बजकर 09 मिनट बताया जा रहा है।

Total Mala Count (माला गिनती) : 0

Our Services
Articles For You